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अनुयोगद्वार
जुत्तासंखेज्जयं होइ । आवलिया वि तत्तिया चेव । तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई
ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं ण पावइ ।
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शब्दार्थ - पडिपुण्णो प्रतिपूर्ण, तत्तिया उतनी ही । भावार्थ - जघन्य युक्ता संख्यात का कितना प्रमाण है?
जघन्य परित्ता संख्यात राशि का जघन्य परित्ता संख्यात राशि से गुणन करने से प्राप्त संख्या जघन्य युक्तासंख्यात का प्रमाण है।
अथवा उत्कृष्ट परित्ता संख्यात के परिमाण में एक जोड़ने से जघन्य युक्तासंख्यात होता है | एक आवलिका के समयों की राशि भी उतनी ही जघन्य युक्तासंख्यात तुल्य होती है। तदनन्तर जघन्य युक्तासंख्यात से आगे यावत् जहाँ तक उत्कृष्ट युक्ता संख्यात प्राप्त न हो, उतना मध्यम युक्ता संख्यात होता है।
उक्कोस जुत्तासंखेज्जयं केवइयं होइ ?
जहण्णएणं जुत्तासंखेज्जएणं आवलिया गुणिया अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ | अहवा जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं रूवूण्णं उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ ।
भावार्थ - उत्कृष्ट युक्तासंख्यात का प्रमाण कितना होता है ?
जघन्य युक्तासंख्यात राशि को आवलिका से - जघन्य युक्तासंख्यात से गुणन करने पर जो राशि प्राप्त होती है, उसमें से एक कम उत्कृष्ट युक्तासंख्यात होता है । अथवा जघन्य असंख्याता संख्यात राशि में से एक कम कर देने पर उत्कृष्ट युक्तासंख्यात होता है।
असंख्यातासंख्यात का निरूपण
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जहण्णय असंखेज्जासंखेज्जयं केवइयं होइ ?
जहण्णएणं जुत्तासंखेज्जएणं आवलिया गुणिया अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णो जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं होइ । अहवा उक्कोसए जुत्तासंखेजए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं होइ । तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाइं जाव उक्कोस असंखेज्जासंखेज्जयं ण पावइ ।
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