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अनुयोगद्वार सूत्र
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गुणों से द्रव्यादि का अथवा गुणों का गुण रूप से ज्ञान होता है अतएव वे गुणप्रमाण कहलाते हैं। अनन्त धर्मात्मक वस्तु का एक अंश द्वारा निर्णय करना नय है। इसी को नयप्रमाण कहते हैं। संख्या का अर्थ है गणना करना। यह गणना रूप प्रमाण संख्या प्रमाण है।
अजीव गुण प्रमाण से किं तं अजीवगुणप्पमाणे?
अजीवगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - वण्णगुणप्पमाणे १ गंधगुणप्पमाणे २ रसगुणप्पमाणे ३ फासगुणप्पमाणे ४ संठाणगुणप्पमाणे ५। ....
से किं तं वण्णगुणप्पमाणे?
वण्णगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - कालवण्णगुणप्पमाणे १ जाव सुक्किल्लवण्णगुणप्पमाणे ५। सेत्तं वण्णगुणप्पमाणे।
से किं तं गंधगुणप्पमाणे?
गंधगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - सुरभिगंधगुणप्पमाणे १ दुरभिगंधगुणप्पमाणे २। सेत्तं गंधगुणप्पमाणे।
से किं तं रसगुणप्पमाणे?
रसगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - तित्तरसगुणप्पमाणे १ जाव महुररस गुणप्पमाणे ५। सेत्तं रसगुणप्पमाणे।
से किं तं फासगुणप्पमाणे?
फासगुणप्पमाणे अट्ठविहे पण्णत्ते। तंजहा - कक्खडफासगुणप्पमाणे १ जाव लुक्खफासगुणप्पमाणे ८। सेत्तं फासगुणप्पमाणे।
से किं तं संठाणगुणप्पमाणे?
संठाणगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा-परिमंडलसंठाणगुणप्पमाणे १ वट्टसंठाणगुणप्पमाणे २ तंससंठाणगुणप्पमाणे ३ चउरंससंठाणगुणप्पमाणे ४ आययसंठाणगुणप्पमाणे ५। सेत्तं संठाणगुणप्पमाणे। सेत्तं अजीवगुणप्पमाणे।
भावार्थ - अजीव गुण प्रमाण कितने प्रकार का बतलाया गया है?
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