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गुणप्रमाण
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जितना होने से) ३. उनसे सूक्ष्म उद्धार पल्योपम का काल असंख्यात गुणा (असंख्याता कोटि वर्ष जितना होने से) ४. उनसे सूक्ष्म अद्धा पल्योपम का कालमान असंख्यात गुणा (असंख्याता कोटाकोटि वर्ष तुल्य होने से) ५. उनसे व्यावहारिक क्षेत्र पल्योपम का कालमान असंख्यात गुणा (असंख्याता उत्सर्पिणी अवसर्पिणी के तुल्य होने से) ६. उनसे सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम का कालमान असंख्यात गुणा (असंख्याता उत्सर्पिणी अवसर्पिणी के तुल्य होने से) ५ वें बोल से इसमें असंख्यात गुणी अधिक उत्सर्पिणी अवसर्पिणी समझना।
(१४४)
• ४. भाव प्रमाण से किं तं भावप्पमाणे?
भावप्पमाणे तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - गुणप्पमाणे १ णयप्पमाणे २ संखप्पमाणे.३।
भावार्थ - भावप्रमाण कितने प्रकार का होता है?
यह १. गुणप्रमाण २. नयप्रमाण और ३. संख्याप्रमाण के रूप में तीन प्रकार का परिज्ञापित हुआ है।
(१४५)
१. गुणप्रमाण से किं तं गुणप्पमाणे? गुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - जीवगुणप्पमाणे १अजीवगुणप्पमाणे य२। भावार्थ - गुणप्रमाण के कितने प्रकार हैं? यह दो प्रकार का परिज्ञापित हुआ है - १. जीव गुणप्रमाण और २. अजीव गुणप्रमाण।
विवेचन - विद्यमान पदार्थों के वर्णादि और ज्ञानादि परिणामों को भाव और जिसके द्वारा उन वर्णादि परिणामों का भलीभांति बोध हो, उसे भावप्रमाण कहते हैं। वह भाव प्रमाण तीन प्रकार का है - गुणप्रमाण, नयप्रमाण और संख्याप्रमाण।
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