________________
विकलेन्द्रियों की स्थिति
३३५
अपर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्यतः एवं उत्कृष्टतः स्थिति अन्तर्मुहूर्त पर्यन्त होती है।
पर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की स्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त । कम तीन हजार वर्ष परिज्ञापित हुई है।
वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त उत्कृष्टतः दस हजार वर्ष होती है।
सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीवों की औधिक, अपर्याप्तक एवं पर्याप्तक - तीनों ही भेदों की स्थिति जघन्यतः और उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त परिमित होती है।
बादर वनस्पतिकायिक जीवों की स्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टतः दस हजार वर्ष है।
अपर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य एवं उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त परिमित होती है।
पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष होती है।
विकलेन्द्रियों की स्थिति बेइंदियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारससंवच्छराणि। अपजसगबेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पज्जत्तगबेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारससंवच्छराई अंतोमुहुत्तूणाई। तेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं एगूणपण्णासं राइंदियाणं। अपजत्तगतेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । पजत्तगतेइंदियाणं पुच्छा।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org