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अद्धापल्योपम
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अतः यदि आवलिका के असंख्यातवें भाग में १-१ अनुत्तर देव का अपहार करेंगे न तो इतने गर्भज मनुष्य हैं, न ही इतने अनुत्तर देव हैं। अतः बालाग्र खंडों को बादर तेजस्कायिक पर्याप्त जीवों की राशि (कुछ न्यून आवलिका के घन प्रमाण) से असंख्यातगुणे अधिक मानने होंगे। आवलिका के वर्ग में बड़े दर्जे के दूसरे असंख्यात जितने कोटि वर्ष होते हैं व आवलिका के घन में पांचवें असंख्यात जितने कोटि वर्ष होते हैं।
अनुत्तर देवों का औसतन विरह दिन मास वर्ष या १०० वर्षों के भीतर मानने पर बालाग्र खंडों का परिमाण अनुत्तर देवों से संख्यात गुणे न्यून व सैकड़ों वर्षों का औसतन विरह माने तो अनुत्तर देवों से बालाग्र खंड संख्यात गुणे अधिक होते हैं।
सूक्ष्म अद्धा पल्योपम में १०० वर्षों के समयों का भाग देने पर सूक्ष्म उद्धार पल्योपम होता है। सूक्ष्म अद्धा पल्योपम में सैकड़ों वर्षों का भाग देने पर अनुत्तर देवों का प्रमाण होता है। अनुत्तर देवों का १०० वर्षों से न्यून विरह मानना कम जंचता है।
अद्वापल्योपम
से किं तं अद्धापलिओवमे ?
अद्धापलिओवमे दुविहे पण्णत्ते । तंजहा - सुहुमे य १ वावहारिए य २ । तत्थ
से से ठप्पे |
भावार्थ - अद्धा. पल्योपम कितने प्रकार का है?
अद्धा पल्योपम दो प्रकार का बतलाया गया है इनमें जी सूक्ष्म है, वह स्थाप्य है। तत्थं णं जे से वावहारिए - से जहाणामए पल्ले सिया जोयणं आयामविक्खंभेणं, जोयणं उव्वेहेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहियबेयाहियतेयाहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा जाव णो पलिविद्धंसिज्जा, णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, तओ णं वाससए "वाससए एगमेगं बालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए णिल्लेवे fuge भवइ से तं वावहारिए अद्धापलिओवमे ।
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१. सूक्ष्म एवं २. व्यावहारिक ।
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