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प्रमाण-भेद - उन्मान प्रमाण
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अद्धतुला, तुला, अद्धभारो, भारो। दो अद्धकरिसा - करिसो, दो करिसा-अद्धपलं, दो अद्धपलाई - पलं, पंचुत्तरपलसइया (पंच पलसइया) - तुला, दस तुलाओअद्धभारो, वीसं तुलाओ-भारो।
शब्दार्थ - उम्माणे - उन्मान, उम्मिणिजइ - उन्मान किया जाता है, अद्धकरिसो - अर्द्धकर्ष, करस - कर्ष, पंचुत्तरपलसइया - एक सौ पांच पलों की (पंचपलसइया) - पांच सौ पलों की।
भावार्थ - उन्मानप्रमाण का क्या स्वरूप है?
जिसके द्वारा उन्मान किया जाता है, उसे उन्मान प्रमाण कहा जाता है। यथा - अर्द्ध कर्ष, कर्ष, अर्द्ध पल, पल, अर्द्ध तुला, तुला, अर्द्ध भार तथा भार।
दो अर्द्धकर्ष का एक कर्ष, दो कर्ष का एक अर्द्ध पल, दो अर्द्ध पल का एक पल, एक सौ पांच पल की एक तुला (पांच सौ पल की एक तुला) दस तुला का एक अर्द्धभार तथा बीस तुलाओं का एक भार होता है।
विवेचन - मूल पाठ में 'पंचपलसइया' के स्थान पर किसी-किसी प्रति में 'पंचुत्तरपलसइया' पाठ मिलता है, जिसका अर्थ एक सौ पांच पल होता है। पंचपलसइया का अर्थ पांच सौ पल होता है। पांच सौ पल के माप से मापने पर 'तुला' और 'भार' का माप बहुत बड़ा होता है। एक सौ पांच पल के माप से मापने पर तुला आदि का प्रमाण उचित रूप में आता है। अतः यहाँ पर 'एक सौ पांच पलों की एक तुला' ऐसा अर्थ करना संगत प्रतीत होता है। पांच सौ पल वाले मूल पाठ को पाठांतर रूप में समझना चाहिये।
एएणं उम्माणपमाणेणं किं पओयणं?
एएणं उम्माणपमाणेणं पत्ताऽगर-तगर-चोयय-कुंकुम-खंडगुल-मच्छंडियाईणं दव्वाणं उम्माणपमाणणिव्वित्तिलखणं भवइ। सेत्तं उमाणपमाणे।
शब्दार्थ - पत्त - तेज पत्र, अगर - एक सुगंधित द्रव्य, तगर - विशेष सुगंधित द्रव्य, चोयय - चोयक - औषधि विशेष, कुंकुम - केशर (रोली), खंड - शर्करा, गुल - गुड़, मच्छंडियाइणं - मिश्री आदि, णिव्वित्ति - निष्पन्नता।
भावार्थ - इस उन्मान प्रमाण का क्या प्रयोजन है?
इस उन्मान प्रमाण द्वारा पत्र, अगर, तगर, चोयक, केशर (रोली), शर्करा, गुड़, मिश्री आदि द्रव्यों के परिमाण का बोध होता है।
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