SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 272
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दस नाम अभिप्रायिक नाम किं तं जीवियणामे ? जीविय (हेउ) णामे - अवकरए, उक्कुरुडए, उज्झियए, कज्जवए, जीवियणामे । - - Jain Education International ६. जीवितहेतु नाम w शब्दार्थ अवकरए कचरा, उक्कुरुडए उत्कुरुटक - कचरे का ढेर, उज्झियए - उज्झितक - परित्यक्त, कज्जवए कचवरक कूड़ा करकट, सुप्पए सूप छाज । भावार्थ - जीवितहेतु नाम का क्या तात्पर्य है ? विनाम अवकरक, उत्कुरुटक, उज्झितक, कचवरक एवं सूर्पक हैं। विवेचन - प्राचीनकाल से ही ऐसी लोक मान्यता रही है कि जिन स्त्रियों के बच्चे जीवित नहीं रहते, वे उसे टालने हेतु बच्चों के भद्दे, गंदे या जुगुप्सित नाम रखते हैं। उनका ऐसा मानना है कि उन भद्दे नामों के रखे जाने से उनके बच्चे मरेंगे नहीं। आज भी यह प्रवृत्ति यत्र-तत्र प्रचलित है। - सुप्पए । - For Personal & Private Use Only २४७ - • इस वर्णन से अशिक्षित एवं अतत्त्वज्ञ लोगों में प्राचीन काल से ही कितना अज्ञान रहा है, वे जादू-टोने में कितना विश्वास रखते थे, यह प्रकट होता है । ७. आभिप्रायिक नाम सेत्तं से किं तं आभिप्पाइयणामे ? आभिप्पाइयणामे - अंबए, बिए, बकुलए, पलासए, सिणए, पिलुए, करीरए । सेत्तं अभिप्पाइयणामे । सेत्तं ठवणप्पमाणे । भावार्थ - अभिप्रायिक नाम का क्या स्वरूप है ? • आभिप्रायिक नाम अंबक, निंबक, बकुलक, पलाशक, स्नेहक, पिलुक एवं करीरक आभिप्रायिक नाम हैं। यह आभिप्रायिक नाम का निरूपण है। यहाँ स्थापना प्रमाण का विवेचन परिसंपन्न होता है। विवेचन अभिप्राय से तद्धित प्रत्ययान्तर आभिप्रायिक बना है। इसका तात्पर्य अपने अभिप्राय या मनचाहे भाव के अनुरूप किसी का नाम स्थापित करना है। इसमें नाम दिए जाने वाले व्यक्ति के गुण की कोई अपेक्षा नहीं रखी जाती । यह भी पहचान का एक रूप है। - ये www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy