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________________ अनुयोगद्वार सूत्र यहाँ पाषण्ड नामों में जो नाम आए हैं, वे निर्ग्रन्थ प्रवचन ( जैन साधुओं) तथा जैनेतर संप्रदायों के अर्थ में हैं। जिसका आशय यह है कि इन-इन नामों से अभिहित होने वाले संप्रदाय रहे हैं। यों संप्रदाय के आधार पर स्थापित परिपाटी का द्योतक है। २४६ प्रस्तुत पाठ में एक शंका उपस्थित होती है - यहाँ श्रमण और भिक्षु दो ऐसे नाम आए हैं, जिनका प्रयोग आगमों में पंचमहाव्रतधारी मुनियों एवं साधुओं के लिए स्थान-स्थान पर हुआ है। यहाँ यह ज्ञातव्य है कि जैनागमों में श्रमण और भिक्षु का प्रयोग साधु के पर्यायवाची शब्दों के रूप में हुआ है । यहाँ 'समण' शब्द ऐसे संप्रदाय का द्योतक है, जो 'समण' संप्रदाय के नाम से प्रसिद्ध था । अर्थात् यहाँ 'समण' शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में है तथा आगमों में यह जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त है । अर्थात् साधु, मुनि, अनगार इन विभिन्न नामों से पंचमहाव्रतधारी को संबोधित किया जाता रहा है। भिक्षु शब्द बौद्ध परम्परा को इंगित करता है क्योंकि वहाँ अधिकांशतः गृहस्थ त्याग कर संन्यस्त होने वाले पुरुष और नारी के लिए भिक्षु और भिक्षुणी शब्द आए हैं। ५. गणनाम किं तं गणणा ? गणणा - मल्ले, मल्लदिण्णे, मल्लधम्मे, मल्लधम्मे, मल्लसम्मे, मलदेवे, मल्लदासे, मलसेणे, मल्लरक्खिए । सेत्तं गणणामे । भावार्थ - गणनाम का क्या स्वरूप है? गण के आधार पर निर्धारित नाम गणनाम हैं, जैसे मल्ल, मल्लदत्त, मल्लधर्म, मल्लशर्म, मल्लदेव, मल्लदास, मल्लसेन एवं मल्लरक्षित । यह गणनाम का निरूपण है। विवेचन बुद्ध एवं महावीर के समय में मगध, विदेह, अंग आदि जनपदों में विभिन्न गणराज्य थे। जिनमें लिच्छवि, वज्जि, मल्ल आदि मुख्य थे। वहाँ विशिष्ट मतदान प्रणाली से जननायकों का चयन होता था । उदाहरणार्थ - चेटक लिच्छवि गणराज्य के प्रधान थे, जिनकी राजधानी वैशाली थी । भगवान् महावीर का जन्म इसी गणराज्य में हुआ । इन गणों में निवास करने वाले व्यक्तिओं की पहचान के आधार पर नाम देने की परिपाटी थी। Jain Education International - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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