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अनुयोगद्वार सूत्र
कमरबंध से योद्धा की, वस्त्रों से महिला की, कणभर से द्रोण परिमित पाक की तथा एक गाथा या श्लोक से कवि की पहचान होती है॥२॥
विवेचन - अवयव का अर्थ शरीर का अंग या अंश विशेष है। किसी मनुष्य, पशु, पदार्थ आदि का नाम किसी विशेष अंग या अंश के आधार पर किया जाता है, उसे अवयव निष्पन्न कहा जाता है। किसी प्राणी के और भी अनेक सामान्य अंग होते हैं किन्तु उसके किसी विशेष अंग का जो औरों के नहीं होता, आधार लेकर यह नाम निष्पत्ति होती है। .. ___ 'श्रृंगे यस्य स्थः सः श्रृंगी', 'शिखा यस्य अस्ति सः शिखी', 'विषाणे यस्य स्थः सः विषाणी' इत्यादि के रूप में इनकी व्युत्पत्तियाँ ज्ञातव्य हैं। समर भूमि में जाने को उद्यत योद्धा स्फूर्ति हेतु कमर में वस्त्र बांधता है, उसे परिकर (कवच) बंध कहा जाता है। उससे युक्त व्यक्ति को देखते ही यह अनुमित होता है कि यह अवश्य ही योद्धा है। यद्यपि उसने और
भी वस्त्र धारण कर रखे हैं किन्तु परिकर बंध युद्धापेक्षित वैशिष्ट्य का द्योतक है। ' द्रोण-परिमित पाक का उल्लेख आया है, वह प्राचीन माप विशेष का परिचायक है। प्राचीन भारत में मागध मान, कलिंग मान के रूप में दो तौलमाप की प्रणालियाँ प्रचलित थीं। द्रोण मागधमान के अन्तर्गत एक परिमाण विशेष था। मागधमान का उत्तर भारत में अधिक प्रचलन था क्योंकि प्राचीनकाल में मगध का महत्त्वपूर्ण स्थान था। उत्तर भारत की केन्द्रीय सत्ता मगध से संचालित होती थी।
भाव प्रकाश में मागधमान का विस्तार से वर्णन हुआ है -
तीस परमाणुओं का एक त्रसरेणु होता है। उसे वंशी भी कहा जाता है। जाली में पड़ती हुई सूर्य की किरणों में जो छोटे-छोटे सूक्ष्म रजकण दिखाई देते हैं, उनमें से प्रत्येक की संख्या त्रसरेणु या वंशी है। छह त्रसरेणु की एक मरीचि होती है। छह मरीचि की एक राजिका या राई होती है। तीन राई का एक सरसों, आठ सरसों का एक जौ, चार जौ की एक रत्ती, छह रत्ती का एक मासा होता है। मासे के पर्यायवाची हेम और धानक भी हैं। चार मासे का एक शाण होता है, धरण और टंक इसके पर्यायवाची हैं। दो शाण का एक कोल होता है। उसे क्षुद्रक, वटक एवं द्रङ् क्षण भी कहा जाता है। दो कोल का एक कर्ष होता है। पाणिमानिका, अक्ष, पिचु पाणितल, किंचित्पाणि, तिन्दुक, विडाल-पदक, षोडशिका, करमध्य, हंसपद, सुवर्ण, कवलग्रह तथा उदुम्बर इसके पर्यायवाची हैं। दो कर्ष का एक अर्धपल (आधा पल) होता है। उसे शुक्ति या अष्टमिक भी कहा जाता है। दो शुक्ति का एक पल होता है। मुष्टि, आम्र, चतुर्थिका
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