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दसनाम - अवयवनिष्पन्न नाम
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जामदग्न्यः (श्री परशुराम), पाण्डु के पुत्र पाण्डव कहलाए। ये ऐसे नाम हैं, जिनका संबंध अपने पूर्वजों से हैं। ये नामनिष्पन्न नामों के उदाहरण हैं।
अथवा पिता, पितामह आदि के नामों में कुछ फर्क करके संतान आदि का नाम दिया जाता है। जैसे - बल नाम वाले व्यक्ति के पुत्र का नाम महाबल, शतबल आदि होना नामनिष्पन्न नाम है।
८. अवयवनिष्पन्न नाम से किं तं अवयवेणं? अवयवेणं - सिंगी सिही विसाणी, दाढी पक्खी खुरी णही वाली। दुपय चउप्पय बहुप्पय, णंगुली केसरी कउही॥१॥ परियरबंधेण भडं, जाणिज्जा महिलियं णिवसणेणं। सित्थेण दोणवायं, कविं च एक्काए गाहाए॥२॥ सेत्तं अवयवेणं।
शब्दार्थ - सिंगी - सींग युक्त, सिही - शिखी - मस्तक पर कलंगी युक्त, विसाणीविषाणी - सींग वाला, दाढी - दाढ़ (जबड़े) वाला, पक्खी - पाँखों वाला, खुरी - खुर वाला, णही - नखों वाला, णंगुली - पूंछ वाला, केसरी - गले पर अयाल (बालों) वाला, कउही - थूही वाला, परियर-बंधेण - कमरबंध से, भडं - योद्धा को, जाणिज्जा - जानना चाहिए, महिलियं - स्त्री को, णिवसणेणं - वस्त्रों द्वारा, सित्थेण - कण द्वारा, दोणवायं - द्रोणपाकं - माप विशेष। - भावार्थ - अवयवनिष्पन्न नाम का क्या अभिप्राय है?
जो अवयव - शरीर के भाग या अंग विशेष के आधार पर नाम दिया जाता है, वह अवयव निष्पन्न है।
गाथाएं - जिस पशु के श्रृंग होते हैं, उसे श्रृंगी, शिखा होती है उसे शिखी (पुनश्च) विषाण युक्त को विषाणी, विशेष प्रकार की तीव्र द्रंष्ट्रायुक्त को दंष्ट्री (दाढ़ी), पंख, खुर, नख तथा बाल के आधार पर क्रमशः पक्षी, खुरी, नखी तथा बाली नाम होते हैं। दो पैरों, चार पैरों एवं बहुत से पैरों के आधार पर क्रमशः द्विपद, चतुष्पद एवं बहुपद नाम होता है। लांगूल केशर एवं ककुद के आधार पर क्रमशः लांगूली, केशरी एवं ककुदी संज्ञाएं हैं॥१॥
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