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________________ १६८ अनुयोगद्वार सूत्र सात स्वरों के ग्राम एवं मूर्च्छनाएं एएसिणं सत्तण्डं सराणं तओगामा पण्णत्ता। तंजहा - सज्जगामे १मज्झिमगामेर गंधारगामे ३। सजगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तंजहा - गाहा - मग्गी कोरविया हरिया, रयणी य सारकंता य। छट्ठी य सारसी णाम, सुद्धसजा य सत्तमा॥१॥ शब्दार्थ - तओ - तीन, गामा - ग्राम, मुच्छणाओ - मूर्च्छनाएं। भावार्थ - इन सात स्वरों के तीन ग्राम बतलाए गए हैं - १. षड्जग्राम २. मध्यमग्राम एवं ३ गांधारग्राम। षड्जग्राम की सात मूर्च्छनाएं प्रज्ञप्त हुई हैं - गाथा - १. मार्गी (मंगी) २. कौरविका ३. हरिता ४. रजनी ५. स्वरकांता ६. सारसी तथा ७. शुद्धसज्जा॥१॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तंजहा - उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा। समोक्कंता य सोवीरा अभिरूवा होइ सत्तमा॥१॥ भावार्थ - मध्यमग्राम की सात मूर्च्छनाएं कही गई हैं, जो इस प्रकार हैं - गाथा - १. उत्तरमंदा २. रजनी ३. उत्तरा ४. उत्तरासमा ५. समवकांता ६. सौवीरा एवं ७. अभिरूपा। गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तंजहा - णंदी य खुड्डिया पूरिमा य, चउत्थी य सुद्धगंधारा। उत्तरगंधारा वि य, सा पंचमिया हवइ मुच्छा॥१॥ सुट्टत्तरमायामा, सा छट्ठी सव्वओ य णायव्वा। अह उत्तरायया कोडिमा य, सा सत्तमी मुच्छा॥२॥ भावार्थ - गांधारग्राम की सात मूर्च्छनाएं प्रज्ञप्त हुई हैं - गाथा - १. नंदी २. क्षुद्रिका ३. पूरिमा ४. शुद्ध गांधारा ५. उत्तर गांधारा ६. सुष्ठुतर आयामा ७. उत्तरायत्ता या कोटिमा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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