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________________ [19] ३४६ ३५० क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय पृष्ठ वाणव्यंतर एवं ज्योतिष्क देवों - १६२. स्थलचर पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति ३३६ की शरीरावगाहना ३०५ | १६३. खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचों की - वैमानिक आदिदेवों की देहावगाहना ३०५ काल स्थिति ३४३ ग्रैवेयक और अनुत्तरोपपातिक देवों - | १६४. संग्रहणी गाथाएँ ३४४ की अवगाहना ३०७ | १६५. मनुष्यों की स्थिति ३४५ उत्सेधांगुल : भेद एवं अल्प-बहुत्व ३०७ | १६६. वाणव्यंतर देवों की स्थिति ३४६ ३. प्रमाणांगुल ३०८ | १६७. ज्योतिष्क देवों की स्थिति ३४६ प्रमाणांगुल का प्रयोजन ३१० | १६८. वैमानिक देवों की स्थिति १४७. कालप्रमाण ३१२ | १६६. सौधर्म से अच्युतकल्प पर्यन्त देवों - १४८. समयनिरूपण ३१३ की स्थिति १४६. समयसमूह मूलक काल विभाजन ३१६ | १७०. ग्रैवेयक और अनुत्तर देवों - १५०. औपमिक काल की स्थिति ३५२ १५१. पल्योपम ३१८ | १७१. क्षेत्रपल्योपम का निरूपण १५२. व्यावहारिक उद्धारपल्योपम . ३१६ | १७२. व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम ३५५ १५३. सूक्ष्म उद्धारपल्योपम ३२१ / १७३. सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम ३५७ १५४. अद्धापल्योपम-सागरोपम | १७४. द्रव्य वर्णन १५५. सूक्ष्म अद्धापल्योपम | १७५. अजीवद्रव्य निरूपण ३६१ १५६. नैरयिकों की स्थिति १७६. अरूपी अजीवद्रव्य ३६१ १५७. भवनपति देवों की स्थिति .. १७७. रूपी अजीवद्रव्य ३६१ १५८. पांच स्थावर निकायों की स्थिति ३३१ | १७८. जीवद्रव्य निरूपण १५६. विकलेन्द्रियों की स्थिति ३३५ | १७६. पंचविध शरीर ३६५ १६०. पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों - | १८०. चौबीस दंडकवर्ती जीव-शरीरकी स्थिति ३३७ | . निरूपण ३६६ १६१. जलचर पंचेन्द्रिय जीवों की स्थिति ३३७ / १८१. पांच शरीर : संख्याक्रम ३१८ ३५५ ३२५ ३६० ३२७ ३२८ ३३० ३६३ ३७० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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