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त्रिनाम का अन्य व्याख्याक्रम
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निनाम का अन्य व्याख्याक्रम गाहाओ - तं पुण णामं तिविहं, इत्थी पुरिसंणपुंसगं चेव। एएसिं तिण्हं पि(य), अंतम्मि य परूवणं वोच्छं॥१॥ तत्थ पुरिसस्स अंता, आई ऊ ओ हवंति चत्तारि। ते चेव इत्थियाओ, हवंति ओकारपरिहीणा॥२॥ अंतिय इंतिय उंतिय, अंताय णपुंसगस्स बोद्धव्वा। एएसिं तिण्हं पि य, वोच्छामि णिदंसणे एत्तो॥३॥ आगारंतो ‘राया', ईगारंतो 'गिरी' य 'सिहरी' य। ऊगारंतो 'विण्हू', 'दुमो' य अंता उ पुरिसाणं॥४॥ आगारंता 'माला', ईगारंता 'सिरी' य लच्छी' य। ऊगारंता 'जंबू', 'वह' य अंताउ इत्थीणं॥५॥ अंकारंतं 'धण्णं', इंकारंतं णपुंसगं 'अत्थि'।
उंकारंतं पीलु', 'महुं' च अंता णपुंसाणं॥६॥ - - - सेत्तं तिणामे।
शब्दार्थ - इत्थी - स्त्रीलिंग, पुरिसं - पुल्लिंग, य - च-और, अंतम्मि - अंत में, परूवणं - प्ररूपणे, वोच्छं - विवक्षित है, हवंति - होते हैं, ओकारपरिहीणा - ओकार वर्जित, बोद्धव्वा - बोधव्य-ज्ञातव्य, वोच्छामि - कहूँगा, णिदसणे - निदर्शन, आगारंतो - जिसके अंत में आकार हो, ईगारंतो - जिसके अंत में ईकार हो, गिरी - पर्वत, सिहरी - पर्वत, विण्हू - विष्णु, दुमो - द्रुम-वृक्ष, सिरी - श्री, लच्छी - लक्ष्मी, ऊगारंता - ऊकार अंत में, जंबू - जामुन, वहू - वधू, इत्थीणं - स्त्रीलिंग वाची शब्दों का, धण्णं - धन्य, अत्थिं - अस्थि, पीलुं - पीलू-वृक्ष विशेष, महुं - मधु, णपुंसाणं - नपुंसकों का।
भावार्थ - गाथाएं - पुनश्च नाम के तीन भेद कहे गए हैं, जो स्त्री, पुरुष एवं नपुंसक लिंग से संबद्ध हैं। इन तीनों के अंतिम अक्षरों का निरूपण यहाँ विवक्षित है॥१॥
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