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पर्यायनाम
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शब्दार्थ - वट्ट - वृत्त, तंस - त्र्यम्र-तीन कोनों से युक्त, चउरंस - चतुरस्र, आयय - आयत - परस्पर समान लम्बाई एवं समान चौड़ाई युक्त।
भावार्थ - संस्थान नाम के कितने भेद होते हैं? संस्थाननाम के पांच भेद बतलाए गए हैं -
१. परिमंडल संस्थाननाम २. वृत्त संस्थाननाम ३. त्र्यम्र संस्थाननाम ४. चतुरस्र संस्थाननाम तथा ५. आयत संस्थाननाम। .
यह संस्थाननाम का स्वरूप है। इस प्रकार गुणनाम का विवेचन परिसमाप्त होता है।
विवेचन - पहले भी इस संदर्भ में विवेचन किया गया है। अब यह इसका अन्यविध विवेचन है। इस संबंध में ज्ञातव्य है कि पहले जो संस्थान का विवेचन हुआ है, वह जीव के शरीर की विशिष्ट आकृतियों से संबद्ध है। यहाँ संस्थान का संबंध दैनंदिन व्यवहार में आने वाली वस्तुओं के आकार-प्रकार से तथा रेखा गणित (Geometry) द्वारा परिकल्पित विशिष्ट आकृतियों से है। इन भेदों का संक्षेप में अभिप्राय इस प्रकार हैं -
१. परिमंडल - जो आकार थाली, सूरज या चन्द्रमण्डल की तरह समान रूप से गोल हो, मध्य में जरा भी रिक्त न हो।
२. वृत्त - वह गोल आकार जो कटक-कड़े (आभूषण) के समान गोल हो, मध्य से रिक्त हो।
३. त्यस - त्रिकोण वह स्थान है, जिसके तीन कोने हो। इसे रेखागणित में त्रिभुज (Triangle) कहा जाता है।
यह भी यहाँ ज्ञातव्य है कि नीनों भुजाएं समान या असमान भी होती है, अतः यह अनेक प्रकार का हो सकता है। . ४. चतुरस - इसमें लम्बाई-चौड़ाई समान होती है। इसे वर्ग (Square) कहा जाता है। ५. आयत - इस संस्थान में लम्बाई अधिक तथा चौड़ाई कम होती है।
पर्यायनाम से किं तं पज्जवणामे?
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