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________________ १६० अनुयोगद्वार सूत्र ___ रसणामे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - तित्तरसणामे १ कडुयरसणामे २ कसायरसणामे ३ अंबिलरसणामे ४ महुररसणामे य ५। सेत्तं रसणाम। शब्दार्थ - तित्त - तीखा, कडुय - कडुआ, कसाय - कसैला, अंबिल - आम्लखट्टा, महुर - मधुर-मीठा। भावार्थ - रसनाम के कितने भेद हैं? रसनाम के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हुए हैं - १. तिक्तरसनाम २. कटुकरसनाम ३. कषायरसनाम ४. आम्लरसनाम तथा ५. मधुररसनाम। यह रसनाम का विवेचन है। स्पर्शनाम से किं तं फासणामे? फासणामे अट्ठविहे पण्णत्ते। तंजहा - कक्खडफासणामे १ मउयफासणामे २ गरुयफासणामे ३ लहुयफासणामे ४ सीयफासणामे ५ उसिणफासणामे ६ णिद्धफासणामे ७ लुक्खफासणामे य । सेत्तं फासणामे। , शब्दार्थ - कक्खडफास - कर्कश स्पर्श, मउयफास - मृदुक स्पर्श, गरुयफास - . गुरुक-भारी स्पर्श, लहुयफास - हल्का स्पर्श, सीयफास - शीतस्पर्श, उसिणफास - गर्म स्पर्श, णिदुफास - स्निग्ध-चिकना स्पर्श, लुक्खफास - लूखा-रूक्ष स्पर्श। भावार्थ - स्पर्शनाम कितने प्रकार का है? स्पर्शनाम आठ प्रकार का है - १. कर्कशस्पर्शनाम २. मृदुलस्पर्शनाम ३. गुरुकस्पर्शनाम ४. लघुकस्पर्शनाम ५. शीतस्पर्शनाम ६. उष्णस्पर्शनाम ७. स्निग्धस्पर्शनाम ८. रूक्षस्पर्शनाम। यह स्पर्शनाम का निरूपण है। संस्थाननाम से किं तं संठाणणामे? संठाणणामे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - परिमंडलसंठाणणामे १ वट्टसंठाणणामे२ तंससंठाणणामे ३ चउरंससंठाणणामे ४ आययसंठाणणामे ५। सेत्तं संठाणणामे। सेत्तं गुणणामे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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