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अनुयोगद्वार सूत्र
हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जए २ हेट्ठिमउवरिमगेवेजए ३। अविसेसिए - मज्झिमगेवेजए। विसेसिए - मज्झिमहेट्ठिमगेवेजए मज्झिमहेट्ठिमगेवेजए १ मज्झिममज्झिमगेवेज्जए २ मज्झिमउवरिमगेवेज्जए ३। अविसेसिए-उवरिमगेवेज्जए। विसेसिए - उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जए १ उवरिममज्झिमगेवेजए २ उवरिमउवरिमगेवेजए ३। एएसिं सव्वेसिं अविसेसियविसेसियअपज्जत्तगपज्जत्तगभेया भाणियव्वा। ___ शब्दार्थ - हेट्ठिम - अधःस्थानिक, मज्झिम - मध्यस्थानवर्ती, उवरिम - उपरिस्थानवर्ती, हेट्टिमहेट्ठिम - निम्नातिनिम्न।
भावार्थ - वैमानिक अविशेषित हैं तो कल्पोपपन्न एवं कल्पातीत देव विशेषित होंगे।
यदि कल्पोपपन्न को अविशेषित मानेंगे तो १. सौधर्म २. ईशान ३. सनत्कुमार ४. माहेन्द्र ५. ब्रह्मलोक ६. लांतक ७. महाशुक्र ८. सहस्रार ६. आनत १०. प्राणत ११. आरण १२. अच्युत - (विमानवासी देव) को विशेषित मानना होगा। ___ इस प्रकार प्रत्येक के संदर्भ में अविशेषित-विशेषित तदनंतर पर्याप्त-अपर्याप्त के रूप में शेष वर्णन भणनीय है।
यदि कल्यातीत देव को अविशेषित मानते हैं तो ग्रैवेयक एवं अनुत्तरोपपातिक देवों को विशेषित मानना होगा। ग्रैवेयक देव अविशेषित होंगे तो अधः स्थानवर्ती ग्रैवेयक, मध्य स्थानवर्ती ग्रैवेयक तथा ऊपरिस्थानवर्ती ग्रैवेयक विशेषित होंगे। ___ अधः स्थानवर्ती ग्रैवेयक अविशेषित हैं तो १. अधः-अधः स्थानिक ग्रैवेयक २. अधःमध्यम स्थानिक ग्रैवेयक ३. अधः-उपरि स्थानिक ग्रैवेयक विशेषत होंगे।
यदि मध्यस्थानिक ग्रैवेयक को अविशेषित मानेंगे तो १. मध्य-अधः-स्थानिक ग्रैवेयक २. मध्य-मध्यस्थानिक ग्रैवेयक ३. मध्य-उपरि-स्थानिक ग्रैवेयक विशेषित होंगे।
उपरिस्थानिक ग्रैवेयक अविशेषित हों तो १. उपरि-अधः-स्थानिक ग्रैवेयक २. उपरि-मध्यस्थानिक ग्रैवेयक ३. उपरि-उपरि स्थानिक ग्रैवेयक विशेषित होंगे।
इस प्रकार इन सभी में (पूर्व विवेचनानुसार) अविशेषित - विशेषित तदनंतर पर्याप्तिअपर्याप्ति के भेद से अवशिष्ट वर्णन ज्ञातव्य है।
अविसेसिए - अणुत्तरोववाइए। विसेसिए - विजयए १ वेजयंतए २ जयंतए ३ अपराजियए ४ सव्वट्ठसिद्धए य ५। एएसिं पि सव्वेसिं अविसेसियविसेसियअपज्जत्तगपजत्तगभेया भाणियव्वा।
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