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द्विनाम का स्वरूप
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द्विनाम का स्वरूप से किं तं दुणाम? दुणामे दुविहे पण्णत्ते। तंजहा - एगक्खरिए य १ अणेगक्खरिए य २। शब्दार्थ - दुणामे - द्विनाम, एगक्खरिए - एकाक्षरिक, अणेगक्खरिए - अनेकाक्षरिक। भावार्थ - द्विनाम के कितने प्रकार हैं? द्विनाम के एकाक्षरिक तथा अनेकाक्षरिक के रूप में दो प्रकार हैं। से किं तं एगक्खरिए?
एगक्खरिए अणेगविहे पण्णत्ते। तंजहा - ह्री, श्री, धी, स्त्री। सेत्तं एगक्खरिए। . भावार्थ - एकाक्षरिक कितने प्रकार के हैं?
एकाक्षरिक द्विनाम अनेक प्रकार के परिज्ञापित किए गए हैं, जैसे - ह्री, श्री, धी, स्त्री। यह एकाक्षरिक का स्वरूप है।
विवेचन - इस सूत्र में एकाक्षरिक नामों के जो ह्री आदि उदाहरण दिए गए हैं, वे संस्कृत के रूप हैं। प्राकृत पाठ के साथ उदाहरण के रूप में संस्कृत के शब्द दिए जायं यह संगति घटित नहीं होती। पाठान्तर में ही, सी, धी, थी - ये अक्षर दिए गए हैं। ये प्राकृत के रूप हैं, मूल पाठ में ये ग्राह्य होने चाहिये। ऐसी संभावना की जाती है। तत्त्व (वास्तविकता) तो ज्ञानीगम्य है।
___ इस संबंध में व्याकरण की दृष्टि से यह ज्ञातव्य है कि स्वर-व्यंजनात्मक, वर्णमाला का प्रत्येक वर्ण, 'अक्षर' कहा जाता है। क्योंकि वह मूल रूप में कभी नष्ट नहीं होता। अर्थात् वर्ण
और अक्षर दोनों समानार्थक हैं। स्वरों और व्यंजनों के रूप में वर्णमाला के दो भाग हैं। स्वरों के उच्चारण में किसी अन्य की आवश्यकता नहीं होती। व्यंजनों का स्पष्ट उच्चारण करने में स्वरों का योग अपेक्षित होता है। यहाँ पाठान्तर में जो उदाहरण दिए गए हैं, उनमें यद्यपि व्याकरण की दृष्टि से ह+इ=ही, स+इ=सी, ध+ई-धी, थ्+ई थी - ये दो-दो अक्षरों के
०१. ही, २ सी (अवब्भंसे), ३ धी, ४ थी।
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