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अनुयोगद्वार सूत्र
(१२१)
नामाधिकार प्ररूपणा से किं तं णामे?
णामे दसविहे पण्णत्ते। तंजहा - एगणामे १ दुणामे २ तिणामे ३ चउणामे ४ पंचणामे ५ छणामे ६ सत्तणामे ७ अट्ठणामे ८ णवणामे ह दसणामे १०।
भावार्थ - नाम कितने प्रकार का है?
नाम के दस भेद बतलाए गए हैं - १. एक नाम २. दो नाम ३. तीन नाम ४. चार माम ५. पाँच नाम ६. छह नाम ७. सात नाम ८. आठ नाम है. नौ नाम १०. दस नाम।
(१२२)
एक नाम से किं तं एगणामे? एगणामे - गाहा - णामाणि जाणि काणि वि, दव्वाण गुणाण पज्जवाणं च।
तेसिं आगमणिहसे, ‘णामं ति परूविया सण्णा॥१॥ सेत्तं एगणामे।
शब्दार्थ - णामाणि - नाम, जाणि - जो, काणि - कौन से, दव्वाण - द्रव्यों के, गुणाण - गुणों के, पज्जवाणं - पर्यायों के, णिहसे - निकष-कसौटी, सण्णा - संज्ञा।
भावार्थ - एक नाम किसे कहा जाता है?
गाथा - द्रव्य, गुण तथा पर्याय आदि जो हैं, उन सबको आगम रूप कसौटी पर कस कर अर्थात् सम्यक् समीक्षण कर एक नाम से प्ररूपित किया गया है (जो सत् है)॥१॥
__ विवेचन - इस जगत् में जीव, अजीव, गुण, पर्याय इत्यादि के रूप में जितने भी पदार्थ हैं, उन सबका संसूचन करने हेतु उनके वाचक शब्द नाम कहे जाते हैं। इसका आशय यह है कि सत्ता के रूप में संसार के समस्त पदार्थों को देखा जाय तो उनके लिए सत् संज्ञा या नाम का प्रयोग होता है। ‘अस्तीति सत्' - जो अस्तित्व लिए हैं, वह सत् है। अतः यह एक नाम सबका - समस्त का वाचक बन गया है। इस एक नाम के अन्तर्गत समस्त पदार्थ जिनका अस्तित्व है, समाविष्ट हो जाते हैं।
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