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अनुयोगद्वार सूत्र
से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?
पुव्वाणुपुव्वी-एगो, दस, सयं, सहस्सं, दससहस्साई, सयसहस्सं दससयसहस्साई, कोडी, दसकोडीओ, कोडीसयं, दसकोडिसयाई। सेत्तं पुव्वाणुपुव्वी।
से किं तं पच्छाणुपुव्वी? पच्छाणुपुव्वी-दसकोडिसयाइं जाव ए(क्को)गो। सेत्तं पच्छाणुपुव्वी। से किं तं अणाणुपुव्वी?
अणाणुपुव्वी-एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसकोडिसयगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो। सेत्तं अणाणुपुव्वी। सेत्तं गणणाणुपुव्वी।
भावार्थ - गणनानुपूर्वी कितने प्रकार की है? गणनानुपूर्वी - १. पूर्वानुपूर्वी २. पश्चानुपूर्वी एवं ३. अनानुपूर्वी के रूप में तीन प्रकार की
पूर्वानुपूर्वी का कैसा स्वरूप है?
एक, दस, सौ, हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख, एक करोड़, दस करोड़, सौ करोड़, हजार करोड़ - यों क्रमशः गणना पूर्वानुपूर्वी है। यह पूर्वानुपूर्वी का निरूपण है।
पश्चानुपूर्वी किस प्रकार की है? हजार करोड़ से प्रारंभ कर (व्यतिक्रम से) यावत् एक.तक की गणना करना पश्चानुपूर्वी है। यह पश्चानुपूर्वी का स्वरूप है। अनानुपूर्वी का क्या स्वरूप है?
इन्हीं को एक से प्रारंभ कर एक-एक की वृद्धि करते हुए हजार करोड़ तक की स्थापित श्रेणी के अंकों का परस्पर गुणन करने पर जो राशि - भंग प्राप्त हों, उनमें से आदि और अंत के दो भंगों को कम करने पर अवशिष्ट रहे भंग अनानुपूर्वी रूप हैं।
यह अनानुपूर्वी का विवेचन है। इस प्रकार गणनानुपूर्वी का वर्णन परिसमाप्त होता है।
विवेचन - आगमकार गिनती की अपेक्षा कोटि (करोड़) से आगे की संख्या को दस कोटि, सौ कोटि आदि के रूप में बताते हैं। इसी गिनती में आगे बढ़ कर कोटि कोटि आदि के रूप में बताते हैं। अरब, खरब आदि शब्दों का प्रयोग नहीं करते हैं। यह आगमकारों के वर्णन करने की
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