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अनुयोगद्वार सूत्र
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यह पूर्वानुपूर्वी का विवेचन है। पश्चानुपूर्वी का क्या स्वरूप है?
असंख्यात समय स्थितिक यावत् एक समय स्थितिक पर्यन्त विपरीत क्रम में पदविन्यास पश्चानुपूर्वी है।
यह पश्चानुपूर्वी का विवेचन है। अनानुपूर्वी का क्या स्वरूप है?
एक-एक के क्रम से (क्रमशः) वृद्धि करते हुए असंख्यात पर्यन्त प्राप्त श्रेणी में परस्पर गुणन से प्राप्त राशि में से प्रथम एवं अंतिम राशि को छोड़ने पर प्राप्त अवशिष्ट भंग अनानुपूर्वी रूप हैं।
यह अनानुपूर्वी का विवेचन है। यह औपनिधिकी कालानुपूर्वी का विवेचन है। इस प्रकार कालानुपूर्वी का विवेचन परिसंपन्न होता है।
(११६) उत्कीर्तनानुपूर्वी का स्वरूप से किं तं उक्कित्तणाणुपुव्वी?
उक्कित्तणाणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता। तंजहा - पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी य ३।
से किं तं पुव्वाणुपुव्वी?
पुव्वाणुपुव्वी-उसभे १ अजिए २ संभवे ३ अभिणंदणे ४ सुमई ५ पउमप्पहे ६ सुपासे ७ चंदप्पहे ८ सुविही : सीयले १० सेजंसे ११ वासुपुजे १२ विमले १३ अणंते १४ धम्मे १५ संती १६ कुंथू १७ अरे १८ मल्ली १६ मुणिसुव्वए २० णमी २१ अरिट्ठणेमी २२ पासे २३ वद्धमाणे २४। सेत्तं पुव्वाणुपुव्वी।
से किं तं पच्छाणुपुव्वी? पच्छाणुपुव्वी - वद्धमाणे २४ जाव उसभे १। सेत्तं पच्छाणुपुव्वी। से किं तं अणाणुपुव्वी?
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