________________
१३०
अनुयोगद्वार सूत्र
एक द्रव्य की प्रतीति से जघन्यतः एक समय तथा उत्कृष्टतः दो समय होता है। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा से इनमें कोई अन्तर नहीं होता।
णेगमववहाराणं अणाणुपुत्वीदव्वाणं अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ?
एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं दो समयं, उक्कोसेणं असंखेनं कालं। णाणादव्वाई पडुच्च णत्थि अंतरं।
भावार्थ - नैगम-व्यवहार सम्मत अनानुपूर्वी द्रव्यों का कालापेक्षया कितना अन्तर होता है?
एक द्रव्यापेक्षया जघन्यतः दो समय तथा उत्कृष्टतः असंख्यात काल होता है। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा से कोई अन्तर नहीं होता।
णेगमववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाणं पुच्छा?
एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं असंखेजं कालं। णाणादव्वाई पडुच्च णत्थि अंतरं।
भावार्थ - नैगम-व्यवहार सम्मत अवक्तव्य द्रव्यों के संदर्भ में भी यही प्रश्न है?
एक द्रव्यापेक्षया कम से कम एक समय तथा अधिक से अधिक असंख्यात काल का होता है। (परन्तु) नानाद्रव्यापेक्षया कोई अन्तर नहीं होता।
भागभावअप्पाबडं चेव जहा खेत्ताणुपुव्वीए तहा भाणियव्वाइं जाव सेत्तं अणुगमे। सेत्तं णेगमववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी।
भावार्थ - (अनुगम के ७ वें, ८ वें एवं 8 वें भेद) भाग, भाव एवं अल्पबहुत्व के विषय में क्षेत्रानुपूर्वी में आए (अनुगम के) विवेचनानुसार जानना चाहिए यावत् यह अनुगम का स्वरूप है। यहाँ नैगम-व्यवहारानुरूप अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी का विवेचन परिसमाप्त होता है।
(११३) संग्रहनयानुरूप अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी?
संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी पंचविहा पण्णत्ता। तंजहा - अट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोयारे ४ अणुगमे ५।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org