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________________ औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी का इतर भेद (हह ) औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी का इतर भेद अहवा उवणिहिया दव्वाणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता । तंजहा - पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । भावार्थ - अथवा औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी तीन प्रकार की प्रज्ञप्त की गई है - १. पूर्वानुपूर्वी २. पश्चानुपूर्वी एवं ३. अनानुपूर्वी । १. पूर्वानुपूर्वी से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? पुव्वाणुपुव्वी - परम्राणुपोग्गले १ दुपएसिए २ तिपएसिए ३ जाव दसपएसिए १० संखिज्जपएसिए ११ असंखिज्जपएसिए १२ अणंतपएसिए १३ । सेत्तं पुव्वाणुपुव्वी । भावार्थ - पूर्वानुपूर्वी का कैसा स्वरूप है ? पूर्वानुपूर्वी १. परमाणुपुद्गल २. द्विप्रदेशिक ३. त्रिप्रदेशिक यावत् १०. दशप्रदेशिक ११. - संख्यात प्रदेशिक १२. असंख्यात प्रदेशिक एवं १३. अनंत प्रदेशिक रूप हैं। यह पूर्वानुपूर्वी का प्रतिपादन है। से किं तं अणाणुपुव्वी ? Jain Education International २. पश्चानुपूर्वी से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? पच्छाणुपुव्वी - अणंतपएसिए १३ जावं परमाणुपोग्गले १ । सेत्तं पच्छाणुपव्वी । भावार्थ - पश्चानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ? पश्चानुपूर्वी - १३ अनंत प्रदेशिक यावत् १. परमाणु पुद्गल रूप है। यह पश्चानुपूर्वी का निरूपण है। १०३ ३. अनानुपूर्वी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004183
Book TitleAnuyogdwar Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size9 MB
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