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________________ ऐरवत क्षेत्र के आगामी दस कुलकरों के नाम ४३३ भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के ऐरवत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में चौबीस तीर्थङ्कर हए थे, उनके नाम इस प्रकार हैं - १. चन्द्रानन, २. सुचन्द्र, ३. अग्निसेन, ४. नन्दीसेन, ५. ऋषिदिन्न (ऋषिदत्त), ६. व्रतधारी और ७. सोमचन्द्र को हम वन्दना करते हैं।। ७० ॥ ८. युक्तिसेन अपरनाम दीर्घबाहु या दीर्घसेन, ९. अजितसेन अपरनाम शतायु, १०. शिवसेन अपरनाम सत्यसेन, ११. देवशर्मा अपरनाम देवसेन, १२. निक्षिप्त शस्त्र अपरनाम श्रेयांस, इनको सदा हम वन्दना करते हैं।। ७१ ॥ १३. असंज्वलन, १४. जिनवृषभ अपरनाम स्वयंजल, १५. अमितज्ञानी यानी सर्वज्ञ अनन्तक, अपरनाम सिंहसेन, १६. उपशान्त और कर्मरज से रहित गुप्तिसेन को हम वन्दना करते हैं।। ७२॥ १७. अतिपार्श्व, १८. सुपार्श्व १९. देवेश्वरों द्वारा वन्दित मरुदेव, २०. निर्वाण को प्राप्त धर और २१. दुःखों का विनाश करने वाले श्यामकोष्ठ, २२. रागद्वेष के विजेता अग्निसेन अपरनाम महासेन, २३. रागद्वेष का सर्वथा क्षय करने वाले अग्निपुत्र और २४. रागद्वेष को विनाश करके सिद्धिगति को प्राप्त हुए वारिसेन, इन चौबीस तीर्थङ्करों को वन्दना करता हूँ।। ७३-७४॥ विवेचन - कहीं कहीं इन नामों में भिन्नता भी देखी जाती है। - भरत क्षेत्र के आगामी कुलकरों के नाम . जंबूहीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए भारहे वासे सत्त कुलगरा भविस्संति, तंजहा - .. . मियवाहणे सुभूमे य, सुप्पभे य सयंपभे । . दत्ते सुहमे सुबंधू य, आगमिस्साण होक्खइ । ७५॥ भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी काल में सात कुलकर होंगे, उनके नाम इस प्रकार होंगे - १. मितवाहन, २. सुभूम, ३. सुप्रभ, ४. स्वयंप्रभ, ५. दत्त, ६. सूक्ष्म, ७. सुबन्धु, ये सात कुलकर आगामी उत्सर्पिणी काल में होंगे ।। ७५ ॥ ऐरवत क्षेत्र के आगामी दस कुलकरों के नाम जंबूहीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए एरवए वासे दस कुलगरा भविस्संति तंजहा - ... Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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