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समवायांग सूत्र
वह वसण विणास णासा कण्णुटुंगुटुकर चरण णहच्छेयण-जिब्भच्छेयण अंजणकडग्गिदाह-गयचलण मलण फालण उल्लंबण सूल लया लउड लट्ठि भंजण तउ सीसग-तत्ततेल्ल-कलकल-अहिसिंचण कुंभीपाग कंपण थिर बंधण वेह-वज्झकत्तण पतिभयकर करपल्लीवणादि दारुणाणि दुक्खाणि अणोवमाणि बहुविविह परंपराणुबद्धा ण मुच्चंति पावकम्मवल्लीए, अवेयइत्ता हु णत्थि मोक्खो । तवेण धिइधणियबद्ध कच्छेण सोहेणं तस्स वावि हुज्जा। ___एत्तो य सुहविवागेसु णं सील संजम णियम गुण तवोवहाणेसु साहुसु सुविहिएसु अणुकंपासयप्पओग तिकालमइ विसुद्धभत्तपाणाइं पययमणसा हियसुहणीसेस तिपरिणाम णिच्छियमई पयच्छिऊणं पओगसुद्धाइं जह य णिव्वत्तेंति उ बोहिलाभं जह य परित्तीकरेंति णर णरय तिरिय सुरगमण-विपुल-परियट्ट-अरइ-भयविसायसौग-मिच्छत्त सेल संकडं, अण्णाण तमंधयार चिक्खिलसुदुत्तारं, जरामरण जोणिसंखुभियचक्कवालं, सोलसकसायसावयपयंडचंडं, अणाइयं, अणवदग्गं संसार सागरमिणं, जह य णिबंधंति आउगं सुरगणेसु, जह य अणुभवंति सुरगण विमाणसोक्खाणि, अणोवमाणि, तओ य कालंतरे चुयाणं इहेव णरलोगमागयाणं आउ वपु वण्ण रूव जाइ कुल जम्म आरोग्गबुद्धि मेहाविसेसा, मित्तजणसयणधणधण्ण विभवसमिद्धसारसमुदय विसेसा, बहुविह कामभोगुब्भवाण सोक्खाण सुहविवागोत्तमेसु, अणुवरयपरंपराणुबद्धा । असुभाणं सुभाणं चेव कम्माणं भासिया बहुविहा विवागा विवागसुयम्मि भगवया जिणवरेण संवेगकारणत्था अण्णेवि व एवमाइया बहुविहा वित्थरेणं अत्थपरूवणया आघविजंति। विवागसुयस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, जाव संखेज्जाओ संग्गहणीओ, से णं अंगट्ठयाए एक्कारसमे अंगे बीसं अज्झयणा, बीसं उद्देसण काला, बीसं समुद्देसण काला, संखेज्जाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं पण्णत्ताई, संखेज्जाणि अक्खराणि, अणंता गमा, अणंता पज्जवा जाव एवं चरण करण परूवणया आघविजंति । से तं विवागसुए। ____ कठिन शब्दार्थ - सुक्कडदुक्कडाणं कम्माणं फल विवागे - सुकृत (शुभ) और दुष्कृत (अशुभ) कर्मों का फल विपाक, संसारपबंधे - संसार प्रबन्ध यानी भव परम्परा का
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