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बारह अंग सूत्र . अब बारह अङ्गसूत्रों के विषय का वर्णन किया जाता है -
· दुवालसंगे गणिपिडगे पण्णत्ते तंजहा - आयारे सूयगडे ठाणे समवाए विवाहपण्णत्ती णायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइयदसाओ पण्हावागरणाइं विवागसुए दिट्ठिवाए ॥
कठिन शब्दार्थ - दुवालसंगे - बारह अंग सूत्र, गणिपिडगे - गणिटिक-आचार्य के रत्न करण्ड के समान।
भावार्थ - बारह अङ्ग सूत्र गणिपिटक - आचार्य के रत्नकरण्ड के समान कहे गये हैं यथा - आचाराङ्ग, सूत्रकृताङ्ग, स्थानाङ्ग, समवायाङ्ग, व्याख्याप्रज्ञप्ति-भगवती सूत्र, ज्ञाताधर्मकथाङ्ग, उपासकदशाङ्ग, अन्तकृद्दशाङ्ग, अनुत्तरौपपातिकदशाङ्ग, प्रश्नव्याकरण, विपाकश्रुत, दृष्टिवाद।
से किं तं आयारे? आयारे णं समणाणं णिग्गंथाणं आयार गोयर विणय वेणंइय ह्राण गमण चंकमण पमाण जोग जुंजण, भासा समिइ गुत्ति सेजोवहि भत्तपाण उग्गम उप्पायण एसणाविसोहि सुद्धासुद्धग्गहण वय णियम तवोवहाण सुप्पसत्थमाहिज्जइ, से समासओ पंचविहे पण्णत्ते तंजहा - णाणायारे, दंसणायारे, चरित्तायारे, तवायारे, वीरियायारे । आयारस्स णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजाओ पडिवत्तीओ, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेजाओ णिजुत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए पढमे अंगे, दो सुयक्खंधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासीई उद्देसण काला, पंचासीइ समुद्देसण काला, अट्ठारस पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासया, कडा, णिबद्धा, णिकाइया, जिण पण्णत्ता भावा आघविजंति, पण्णविनंति, परूविज्जति, दंसिज्जति, णिदंसिजंति, उवदंसिजति। से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया। एवं चरण-करण परूवणया आघविजइ पण्णविजइ परूविजइ दंसिजइ णिदंसिजइ उवदंसिजइ । से त्तं आयारे ॥
कठिन शब्दार्थ - आयार - आचार, गोयर - गोचर-भिक्षा ग्रहण करने की विधि, वेणइय - वैनयिक-विनय का फल, जोगजुंजण - योग योजन-स्वाध्याय प्रतिलेखना आदि
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