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समवाय २
ठिई पण्णत्ता। दुच्चाए पुढवीए अत्थेगइयाणं णेरड्याणं दो सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। असुरकु माराणं देवाणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। असुरकुमारिदवजियाणं भोमिजाणं देवाणं उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। असंखिजवासाउयसण्णिपंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। असंखिजवासाउय सण्णि गब्भवक्कंतिय मणुस्साणं अत्थेगइयाणं देवाणं च दो पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। ईसाणे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाइं लिई पण्णत्ता। सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ईसाणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साहियाइं दो सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहण्णेणं दो सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। माहिंदे कप्पे देवाणं जहण्णेणं साहियाइं दो सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा सुभं सुभकंतं सुभवण्णं सुभगंधं सुभलेसं सुभफासं सोहम्मवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। ते णं देवा दोण्हं अद्धमासाणं (दोहिं अद्धमासेहिं) आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा णीससंति वा । तेसिणं देवाणं दोहिं वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जइ । अत्थेगइया भवसिद्धिया जीवा जे दोहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिणिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥ सूत्र २ ॥
कठिन शब्दार्थ - अट्ठादंडे - अर्थदण्ड, अणट्ठादंडे - अनर्थदण्ड, पुव्वा - पूर्व, फग्गुणी - फाल्गुनी, णक्खत्ते - नक्षत्र, भद्दवया - भाद्रपदा, दुतारे - दो तारों वाले, देसुणाई - देशोन, आणमंति - आभ्यंतर ऊँचा श्वास लेते हैं, पाणमंति - आभ्यंतर नीचा श्वास लेते हैं, उस्ससंति - बाह्य ऊंचा श्वास लेते हैं, णीससंति - बाह्य नीचा श्वास लेते हैं, दोहिं - दो, भवग्गहणेहिं - भव ग्रहण करके, परिणिव्वाइस्संति - परिनिर्वृत होंगे अर्थात् शीतलीभूत होंगे, सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति - सब दुःखों का अंत करेंगे।
भावार्थ - दो दण्ड कहे गये हैं यथा - अर्थदण्ड और अनर्थदण्ड। दो राशि कही गई हैं यथा - जीवराशि और अजीवराशि । दो प्रकार का बन्धन कहा गया है यथा - रागबन्धन
और द्वेषबन्धन। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्व भाद्रपदा नक्षत्र और उत्तर भाद्रपदा नक्षत्र ये चार नक्षत्र दो-दो तारों वाले कहे गये हैं। इस रत्नप्रभा नरक में कितनेक
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