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________________ समवाय २४ ११५ दूसरी त्रिक के तीन विभाग यथा - ४. मध्यम अधस्तन ५. मध्यम-मध्यम ६. मध्यम उपरितन । तीसरी त्रिक के तीन विभाग - ७. उपरितन अधस्तन ८. उपरितन मध्यम ९. उपरितन उपरितन । लोक का आकार नाचते हुए भोपे का बतलाया गया है। पुरुष की गर्दन को ग्रीवा कहते हैं। ये ९ विमान ग्रीवा (गर्दन) के स्थान पर आये हुए हैं। इसलिये इनको ग्रैवेयक कहते हैं। ये एक घड़े के ऊपर दूसरे घड़े की तरह ऊपराऊपरि आये हुए हैं। ___. चौबीसवां समवाय - चउव्वीसं देवाहिदेवा पण्णत्ता तंजहा - उसभ अजिय संभव अभिणंदण सुमइ पउमप्पह सुपास चंदप्पह सुविहि सीयल सिजंस वासुपुज विमल अणंत धम्म संति कुंथु अर मल्लि मुणिसुव्वय णमि णेमी पास वद्धमाणा। चुल्लहिमवंत सिहरीणं वासहर पव्वयाणं जीवाओ चउव्वीसं चउव्वीसं जोयण सहस्साई णवबत्तीसे जोयणसए एगं अट्ठतीसइभागं जोयणस्स किंचि विसेसाहियाओ आयामेणं पण्णत्ताओ। चउवीसं देव ठाणा सइंदया पण्णत्ता, सेसा अहमिंदा अणिंदा अपुरोहिया। उत्तरायणगए णं सूरिए चउवीसंगुलिए पोरिसीछायं णिव्वत्तइत्ताणं णियट्टइ। गंगा सिंधूओ णं महाणईओ पवाहे. साइरेगेणं चउवीसं कोसे वित्थारेणं पण्णत्ताओ। रत्तारत्तवईओ महाणईओ पवाहे साइरेगेणं चउवीसं कोसे वित्थारेणं पण्णत्ताओ। इमीसे. णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं रइयाणं चउवीसं पलिओवमाई.ठिई पण्णत्ता। अहे सत्तमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं णेरइयाणं चउवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्गइयाणं चउवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चउवीसं पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। हेट्ठिम उवस्मिगविजयाणं देवाणं जहण्णेणं चउव्वीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। जे देवा हेट्ठिम मज्झिम गेविजय विमाणेसु देवत्ताए उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाई लिई पण्णत्ता। ते णं देवा चउवीसाए अद्धमासाणं (अद्धमासेहिं) आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा णीससंति वा। तेसिणं देवाणं चउवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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