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समवायांग सूत्र
अवरेणं अत्थमणं उवागच्छइ । जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स कलाओ एगूणवीसं छेयणाओ पण्णत्ताओ। एगूणवीसं तित्थयरा अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वइया । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं णेरइयाणं एगूणवीसं पलिओ माई ठिई पण्णत्ता । छट्ठीए पुढवीए अत्थेगइयाणं णेरइयाणं एगूणवीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं एगूणवीसं पलिओ माई ठिई पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एगूणवीसं पलिओ माई ठिई पण्णत्ता । आणय कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । पाणयकप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं जहण्णेणं एगूणवीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । जे देवा आणयं पाणयं णयं विणयं घणं सुसिरं (झुसिरं ) इंदं इंदोकंतं इंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । ते णं देवा एगूणवीसाए अद्धमासाणं आपणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा णीससंति वा । तेसिणं देवाणं एगूणवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एगूणवीसाए भवग्गहणेहिं सिन्झिस्संति बुज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ १९ ॥
कठिन शब्दार्थ - एगूणवीसं - उन्नीस, णायज्झयणा ज्ञाता धर्म कथांग सूत्र के, अध्ययन, उक्खित्तणाए - उत्क्षिप्त ज्ञात, संघाडे कूर्म ज्ञात, सेलए शैलक, तुंबे - तुम्बक, मागंदी का दृष्टान्त, मंडुक्के मण्डूक ज्ञात नन्द मणियार आकीर्णज्ञात, पोंडरीए - पुण्डरीक का दृष्टान्त, उड्ड महो ऊपर और नीचे, तवयंति तपता है, सुक्के महग्गहे - शुक्र महाग्रह, अवरेण- पश्चिम दिशा से, अगारवासमझे वसित्ता - अगारवास में रह कर ।
संघट्ट ज्ञात, अंडे - अण्ड ज्ञात, कुम्मे माकंदी ज्ञात, दावद्दवे - दावद्रव वृक्ष (मणिकार) की कथा, आइण्णे
भावार्थ - ज्ञाताधर्म कथाङ्ग सूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध के १९ अध्ययन कहे गये हैं । वे इस प्रकार हैं १. उत्क्षिप्त ज्ञात - पूर्वभव में शशक (खरगोश) की रक्षा करने से श्रेणि राजा के घर उत्पन्न हुए मेघकुमार की कथा । २. संघट्ट ज्ञात धन्ना सार्थवाह और विजय चोर की कथा ३. अण्ड ज्ञात शुद्ध समकित के लिए अण्डे का दृष्टान्त ४. कूर्म ज्ञात साधु को अपनी इन्द्रियाँ वश में रखने के लिए कच्छुए का दृष्टान्त । ५. शैलक भूल के लिए पश्चात्ताप करके फिर संयम में दृढ़ होने के लिए शैलक राजर्षि का दृष्टान्त । ६. तुम्बक
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