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________________ ५० 000 उत्तराध्ययन सूत्र - तेईसवाँ अध्ययन गौतमस्वामी का समाधान सिमेवं बुवाणं तु, गोयमो इणमब्बवी । विण्णाणेण समागम्म, धम्म- साहण - मिच्छियं ॥३१॥ कठिन शब्दार्थ - केसिमेवं बुवाणं तु - केशीकुमार श्रमण के ऐसा कहने पर, विण्णाणेण - विज्ञान - विशिष्ट ज्ञान से, समागम्म सम्यक् प्रकार से जान कर, धम्मसाहणंधर्म के साधनों (उपकरणों) को, इच्छियं - अनुमति दी है। भावार्थ - इस प्रकार कहते हुए केशीकुमार श्रमण को गौतमस्वामी इस प्रकार कहने लगेभगवान् पार्श्वनाथ स्वामी ने और भगवान् वर्द्धमान स्वामी ने विज्ञान द्वारा अर्थात् केवलज्ञान द्वारा जान कर यथायोग्य धर्म साधन धर्म - उपकरणों की आज्ञा दी है। पच्चयत्थं च लोगस्स, णाणाविह - विगप्पणं । जत्तत्थं गहणत्थं च, लोगे लिंगपओयणं ॥ ३२ ॥ कठिन शब्दार्थ - पच्चयत्थं - प्रतीति के लिए, लोगस्स - लोग की, णाणाविहविगप्पणं - नानाविधविकल्पन नाना प्रकार के वेष उपकरण आदि की परिकल्पना, जत्तत्थंसंयम यात्रा के निर्वाह के लिए, गहणत्थं ज्ञानादि ग्रहण के लिये, लोगे - लोक में, लिंगपओयणं - लिंग (वेष ) का प्रयोजन । भावार्थ - नानाविधविकल्पन अर्थात् अनेक प्रकार के उपकरणों की कल्पना, लोगों की प्रतीति एवं विश्वास के लिए है और संयम - यात्रा का निर्वाह करने के लिए तथा ज्ञानादि ग्रहण के लिए लोक में लिंग (वेष) का प्रयोजन है। विवेचन - 'यह साधु है' लोक में ऐसी प्रतीति हो, इसके लिए लिंग (वेष) का प्रयोजन है। अन्यथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी पूजा के लिए अपनी इच्छानुसार वेष धारण कर के साधु कहलाने का ढोंग कर सकता है। संयम यात्रा के निर्वाह के लिए तथा ज्ञानादि के ग्रहण के लिए भी वेष की आवश्यकता है। कदाचित् कर्मोदय से संयम के प्रति अरुचि अथवा मन में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न हो जाय तो यह विचार करना चाहिए कि मेरा साधु-वेष है। मुझे इसके अनुसार ही प्रवृत्ति करनी चाहिए। अन्यथा मेरे कारण यह जिनशासन का वेष और जिनशासन ज्जित होगा, ऐसी प्रवृत्ति मुझे नहीं करनी चाहिए । Jain Education International - - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004181
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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