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केशि-गौतमीय - गौतम स्वामी का समाधान wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww - कठिन शब्दार्थ - पुरिमा - पहले के, उज्जुजडा - ऋजु (सरल) और जड़ (दुर्बोध्य), वक्कजडा - वक्र और जड़, पच्छिमा - पश्चिम-अंतिम तीर्थंकर के, मज्झिमा - मध्य के, उज्जुपण्णा - ऋजु और प्राज्ञ, दुहा - दो प्रकार का, कए - कहा गया है। ..
. भावार्थ - पहले तीर्थंकर के साधु ऋजुजड़ होते हैं और अन्तिम तीर्थंकर के साधु वक्रजड़ होते हैं और मध्य के बाईस तीर्थंकरों के साधु ऋजुप्राज्ञ होते हैं इसलिए धर्म दो प्रकार का कहा गया है।
विवेचन - प्रथम तीर्थंकर के साधु ऋजुजड़ होते हैं। वे प्रकृति के सरल होते हैं। किन्तु क्षयोपशम की मंदता के कारण मंद बुद्धि वाले होते हैं इसलिए वे तत्त्वों के अभिप्राय को शीघ्र नहीं समझ पाते हैं। अन्तिम तीर्थंकर के साधु वक्रजड़ होते हैं, उन्हें हितशिक्षा दी जाने पर भी वे अनेक प्रकार के कुतर्कों द्वारा परमार्थ की अवहेलना करने में उद्यत रहते हैं तथा वक्रता के कारण छल पूर्वक व्यवहार करते हुए अपनी मूर्खता को चतुरता के रूप में प्रदर्शित करने की चेष्टा करते हैं। मध्य के बाईस तीर्थंकरों के साधु ऋजुप्राज्ञ अर्थात् सरल और बुद्धिमान होते हैं। वे सरलता पूर्वक समझाये जा सकते हैं और ऐसे बुद्धिमान् होते हैं कि संकेतमात्र कर देने से ही वे उस तत्त्व के मर्म तक पहुँच जाते हैं। इसलिए धर्म के नियमों में भेद किया गया है अर्थात् प्रथम और अन्तिम तीर्थंकर के साधुओं के लिए पांच महाव्रतों का विधान किया गया है और । मध्य के बाईस तीर्थंकरों के साधुओं के लिए चार याम (महाव्रतों) का कथन किया गया है। . पुरिमाणं दुव्विसोज्झो उ, चरिमाणं दुरणुपालओ।
कप्पो मज्झिमगाणं तु, सुविसोज्झो सुपालओ॥२७॥ .. कठिन शब्दार्थ - दुव्विसोझो - दुर्विशोध्य - दुःख से विशुद्ध ग्रहण करने योग्य, चरिमाणं- अंतिम, दुरणुपालओ - दुरनुपालक - आचार पालन दुष्कर, कप्पो - कल्प, मज्झिमगाणं - मध्यवर्ती तीर्थंकरों के, सुविसोज्झो - सुविशोध्य - विशुद्ध रूप से अंगीकार किये जाते, सुपालओ- सुपालक-विशुद्ध रूप से पालन किये जाते। - भावार्थ - पहले तीर्थंकर के साधुओं का कल्प-आचार दुर्विशोध्य है और अन्तिम तीर्थंकर के साधुओं का आचार दुरनुपालक है। मध्य के बाईस तीर्थंकरों के साधुओं का आचार सुविशोध्य
और सुपालक है अर्थात् प्रथम तीर्थंकर के साधु अपने कल्प (आचार) को शीघ्रता से नहीं समझ पाते हैं। उनकी प्रकृति सरल होती है तथा बुद्धि मंद होती है। इसलिए उनकी बुद्धि
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