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रथनेमीय - उपसंहार 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
प्रस्तुत दोनों गाथाओं में आगमकार ने निरतिचार संयम पालन का फल बतलाते हुए दोनों (राजीमती और रथनेमि) को केवलज्ञान प्राप्त कर सभी कर्मों का क्षय करके मोक्ष होने का उल्लेख किया गया है।
उत्तराध्ययन नियुक्ति की गाथा ४४६-४४७ में बताया है कि - "रहणेमिस्स भगवओ, गिहत्थए चउरहुंति वास सया। संवच्छरं छउमत्थो, पंचसए केवली हंति॥४४६॥ णववाससए वासाहिए उ, सव्वाउगस्स णायव्वं । एसो उ चेव कालो, रायमईए उ णायव्वा॥४४७॥
अर्थ - रथनेमि एवं राजीमती की गृह पर्याय ४०० वर्ष, छद्मस्थ पर्याय १ वर्ष, केवली पर्याय ५०० वर्ष। सर्वायु ६०१ वर्ष की थी। भगवान् अरिष्टनेमि की गृहपर्याय ३०० वर्ष, छद्मस्थ पर्याय ५४ दिन, केवली पर्याय ५४ दिन कम ७०० वर्ष। सर्वायु १००० वर्ष की थी।
आचार्य हेमचन्द्र ने - 'त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र' में रथनेमि व राजीमती का भगवान् अरिष्टनेमि से ५४ दिन पूर्व निर्वाण होना (मोक्ष जाना) बताया है।
ग्रन्थों में आये हुए उपर्युक्त वर्णनों के आधार से निम्नलिखित तथ्य (सिद्धान्त) फलित (सूचित-ध्वनित) हो सकते हैं - विषय
भगवान् अरिष्टनेमि आयु रथनेमि-राजीमती आयु १. प्रारंभ में
___६ वर्ष में ५४ दिन कम जन्म हुआ २. विवाह समय २६६ वर्ष
१६६ वर्ष ५४ दिन कम ३. भगवान् की दीक्षा समय .. ३०० वर्ष
२०० वर्ष ५४ दिन कम ४. राजीमती की दीक्षा समय ४६६ वर्ष ५४ दिन कम
४०० वर्ष ५. राजीमती निर्वाण समय १००० वर्ष ५४ दिन कम १०१ वर्ष ६. भगवान् निर्वाण समय १००० वर्ष
मोक्ष में गए ५४ दिन हुए।
॥ स्थनेमीय नामक बाईसवाँ अध्ययन समाप्त॥
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