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उत्तराध्ययन सूत्र - बाईसवाँ अध्ययन . 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
. . महाराजा यदु (शौरीपुर-वर्तमान में आगरा) ....
शौरी
शौवीर
अंधकवृष्णि
.
भोजकवृष्णि (भोगवृष्णि) (मथुरा-शूरसेन देश)
समुद्रविजयादि १० पुत्र
उग्रसेन
देवक
कंस आदि पुत्र सत्यभामा राजीमती.. आदि पुत्रियाँ ..
देवकी (पुत्री)
..
अरिष्टनेमि रथनेमि सत्यनेमि दृढ़नेमि ..
माताजी (श्री शिवादेवीजी)
वसुदेव (अंधकवृष्णि के १०वें पुत्र)
श्री कृष्ण
बलराम
(माता देवकीजी) (माता रोहिणीजी) भगवान् अरिष्टनेमि तथा राजीमती का परिवारतस्स भजा दुवे आसी, रोहिणी देवई तहा। तासिं दोण्हं दुवे पुत्ता, इट्ठा रामकेसवा॥२॥ कठिन शब्दार्थ - भज्जा - भार्या, दुवे - दो, पुत्ता - पुत्र, रामकेसवा - राम और केशव।
भावार्थ - उस वसुदेव के रोहिणी और देवकी नाम की दो भार्या-स्त्रियाँ थी। उन दोनों के इष्ट (सभी को प्रिय लगने वाले) राम और केशव (रोहिणी के राम बलदेव और देवकी के कृष्ण-वासुदेव) दो पुत्र थे।
. अरिष्टनेमि का परिचय सोरियपुरम्मि णयरे, आसी राया महिड्डिए। समुद्दविजए णामं, रायलक्खण-संजुए॥३॥
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