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उत्तराध्ययन सूत्र - छतीसवाँ अध्ययन 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
वण्णओ जे भवे णीले, भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥२४॥
भावार्थ - वर्ण की अपेक्षा जो पुद्गल नीला होता है, उसकी गन्ध से, रस से, स्पर्श से और संस्थान से भी भजना समझनी चाहिए (उसमें २ गन्ध, ५ रस, ८ स्पर्श और ५ संस्थान इस प्रकार २० बोलों की भजना समझनी चाहिए)।
वण्णओ लोहिए जे उ, भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥२५॥
भावार्थ - वर्ण की अपेक्षा जो पुद्गल लोहित - लाल है, उसकी गन्ध से, रस से, स्पर्श से और संस्थान से भी भजना समझनी चाहिए।
वण्णओ पीयए जे उ, भइए से उ गंधओ। . रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥२६॥
भावार्थ - वर्ण की अपेक्षा जो पुद्गल पीला है, उसकी गन्ध से, रस से, स्पर्श से और संस्थान से भी भजना समझनी चाहिए। . वण्णओ सुक्किले जे उ, भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥२७॥
भावार्थ - वर्ण की अपेक्षा जो पुद्गल शुक्ल (श्वेत) है, उसकी गन्ध से, रस से, स्पर्श से और संस्थान से भी भजना समझनी चाहिए।
गंधओ जे भवे सुब्भी, भइए से उ वण्णओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥२८॥
भावार्थ - गन्ध की अपेक्षा जो पुद्गल सुरभि - सुगन्ध वाला होता है उसकी वर्ण से, रस से, स्पर्श से और संस्थान से भी भजना समझनी चाहिए अर्थात् सुगन्ध वाले पुद्गल में पांच वर्ण, पांच रस, आठ स्पर्श और पांच संस्थान, इन २३ बोलों की भजना है।
गंधओ जे भवे दुब्भी, भइए से उ वण्णओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥२६॥
भावार्थ - गन्ध की अपेक्षा जो पुद्गल दुरभि - दुर्गन्ध वाला होता है, उसकी वर्ण से, रस, स्पर्श और संस्थान से भी भजना समझनी चाहिए अर्थात् दुर्गन्ध वाले पुद्गल में पांच वर्ण, पांच रस, आठ स्पर्श और पांच संस्थान, इन २३ बोलों की भजना है।
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