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________________ .. उत्तराध्ययन सूत्र - पैंतीसवाँ अध्ययन 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 भावार्थ - प्रासुक अर्थात् जीव रहित बाधा-रहित (जहाँ अपने संयम में और दूसरे लोगों को किसी प्रकार की बाधा न हो) और जो स्त्री आदि के उपद्रव से रहित हो ऐसे स्थान में परम संयत - श्रेष्ठ संयम वाला भिक्षु - साधु रहने का संकल्प करे (ऐसे स्थान में साधु रहे)। विवेचन - प्रस्तुत दोनों गाथाओं में साधु के लिए निवास योग्य स्थानों का विधान किया गया है। गृहकर्म समारंभ-निषेध ण सयं गिहाई कुब्विजा, णेव अण्णेहिं कारए। गिह कम्मसमारंभे, भूयाणं दिस्सए वहो॥८॥ कठिन शब्दार्थ - सयं - स्वयं, गिहाई - गृह, ण कुविज्जा - न करे, णेव - न, अण्णेहिं - दूसरों से, कारए - बनवावे, गिह कम्मसमारंभे - गृह कर्म के समारम्भ में, भूयाणं - भूतों-जीवों का, दिस्सए - देखा जाता है, वहो - वध (हिंसा)। ___भावार्थ - साधु स्वयं घर न बनावे, न दूसरों से बनवावे और बनाने वालों की अनुमोदना भी न करे क्योंकि घर बनाने के समारम्भ में भूत-प्राणियों का वध (हिंसा) दिखाई देता है। तसाणं थावराणं च, सुहुमाणं बादराण य। तम्हा गिहसमारंभं, संजओ परिवजए॥६॥ कठिन शब्दार्थ - तसाणं थावराणं च - त्रस और स्थावर जीवों का, सुहमाणं बादराण य - सूक्ष्म और बादर जीवों का, संजओ - संयमी, परिवज्जए - त्याग कर दे। भावार्थ - घर बनाने में त्रस और स्थावर, सूक्ष्म और बादर जीवों की हिंसा होती है, इसलिए संयमी साधु घर बनाने के समारम्भ को त्याग दे। विवेचन - गाथा में सूक्ष्म जीवों की हिंसा का भी कथन किया है किन्तु सूक्ष्म नामकर्म के उदय से जो जीव सूक्ष्म हैं उनकी हिंसा होती नहीं है इसलिए जिनका शरीर अत्यन्त छोटा है ऐसे कुंथुआ, लालचींटी आदि की हिंसा समझनी चाहिए अथवा भाव की अपेक्षा उन सूक्ष्म नामकर्म वाले जीवों की हिंसा समझनी चाहिए। द्रव्य से तो उन जीवों की हिंसा नहीं होती है किन्तु भाव से तो उनकी भी हिंसा हो सकती है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004181
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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