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उत्तराध्ययन सूत्र - तीसवाँ अध्ययन 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 ___ भावार्थ - सो वह तप बाह्य और आभ्यन्तर के भेद से दो प्रकार का कहा गया है। बाह्य तप छह प्रकार का कहा गया है, इसी प्रकार आभ्यंतर तप भी छह प्रकार का कहा गया है।
बाह्य तप के भेद अणसणमूणोयरिया, भिक्खायरिया य रसपरिच्चाओ। कायकिलेसो संलीणया, य बज्झो तवो होइ॥८॥
कठिन शब्दार्थ - अणसणं - अनशन, ऊणोयरिया - ऊनोदरिका, भिक्खायरिया - भिक्षाचर्या, रसपरिच्चाओ - रस परित्याग, कायकिलेसो - कायक्लेश, संलीणया - संलीनता, बज्झो - बाह्य। ___भावार्थ - अनशन, ऊनोदरिका-ऊनोदरी, भिक्षाचर्या, रसपरित्याग, कायक्लेश तथा संलीनता-प्रतिसंलीनता, ये बाह्य तप के छह भेद होते हैं।
- अनशन तप के भेद-प्रभेद इत्तरिय मरणकाला य, अणसणा दुविहा भवे। . इत्तरिय सावकंखा, णिरवकंखा उ बिइज्जिया॥६॥ ,
कठिन शब्दार्थ - इत्तरिय - इत्वरिक, मरणकाला - मरणकाल, सावकंखा - आकांक्षा सहित, णिरवकंखा - आकांक्षा रहित, बिइज्जिया - दूसरा। ... भावार्थ - अनशन तप दो प्रकार का होता हैं, इनमें पहला इत्वरिक (थोड़े काल का) और दूसरा मरणकाल अर्थात् जीवन पर्यन्त। इत्वरिक तप आहार की आकांक्षा-सहित होता है और दूसरा मरणकालिक अनशन आहार की आकांक्षा-रहित होता है।
जो सो इत्तरिय तवो, सो समासेण छव्विहो। सेढितवो पयर तवो, घणो य तह होइ वग्गो य॥१०॥ तत्तो य वग्गवग्गो उ, पंचमो छट्टओ पइण्णतवो। मणइच्छियचित्तत्थो, णायव्यो होइ इत्तरिओ॥११॥
कठिन शब्दार्थ - समासेण - संक्षेप से, सेढितवो - श्रेणी तप, पयर तवो - प्रतरतप, घणो - घन, वम्मो- वर्ग, वग्गवग्गो - वर्गवर्ग, पइण्णतवो - प्रकीर्ण तप, मणइच्छियचित्तत्थोमनईप्सितचित्रार्थ - मनोवांछित विचित्र प्रकार के फल देने वाला।
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