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सामाचारी - पौन पोरसी काल जानने का उपाय
चौदह दिनों का पक्ष किस-किस माह में ?
आसाढ - - बहुलपक्खे, भद्दवए कत्तिए य पोसे य । फग्गुण - वइसाहेसु य, बोद्धव्वा ओमरत्ताओ ॥ १५ ॥ कठिन शब्दार्थ.. बहुलपक्खे कृष्ण पक्ष में, भद्दवए भाद्रपद में, कत्तिए कार्तिक, फग्गुण वइसाहेसु - फाल्गुन और वैशाख मास में, बोद्धव्वा - समझनी चाहिए। भावार्थ - आषाढ़, भाद्रपद, कार्तिक, पौष, फाल्गुन और वैशाख, इन सब महीनों के तिथि घटती है ऐसा जानना चाहिए अर्थात् उपरोक्त महीनों का कृष्णपक्ष कृष्ण पक्ष में एक-एक १४ दिन का होता है।
विवेचन - आषाढ़ आदि महीनों के कृष्णपक्ष में एक अहोरात्र का क्षय कर देना चाहिये । एक अहोरात्र कम होने से चौदह दिनों का पक्ष इन महीनों में स्वतः सिद्ध हो जाता हैं। पौन पोरसी काल जानने का उपाय
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जेामूले आसाढ - सावणे, छहिं अंगुलेहिं पडिलेहा । अट्ठहिं बीयतयम्मि, तइए दस अट्ठहिं चउत्थे ॥ १६ ॥ कठिन शब्दार्थ . जेट्ठामूलें - जेठ, आसाढ़सावणे आषाढ़ और श्रावण, छहिं अंगुलेहिं - छह अंगुलों से, पडिलेहा - प्रतिलेखना का काल, बीयतयम्मि - द्वितीय त्रिक में ।
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भावार्थ - जेठ, आषाढ़ और श्रावण मास में पोरिसी का जो परिमाण कहा गया है उसमें छह अंगुल और मिला देने से प्रतिलेखना का समय होता है। दूसरे त्रिक में (भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक में) पोरिसी के परिमाण में आठ अंगुल मिलाने से और तीसरे त्रिक (मार्गशीर्ष पौष और माघ मास ) में दस-दस अंगुल मिलाने से तथा चौथे त्रिक (फाल्गुन, चैत्र और वैशाख मास) में आठ अंगुल मिलाने से प्रतिलेखना का समय होता है।
विवेचन :- अगर पौन पोरिसी की छाया का परिमाण जानना हो तो पहिले बताई हुई पोरिसी की छाया में नीचे लिखे अनुसार अंगुल मिला देने चाहिए- ज्येष्ठ, आषाढ़ और श्रावण मास में छह अंगुल । भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक में आठ अंगुल । मार्गशीर्ष पौष और माघ में दस अंगुल । फाल्गुन, चैत्र और वैशाख में आठ अंगुल । इस प्रकार- छाया बढ़ाने से पौन पोरिसी निकल जाती है। इस समय वस्त्र - पात्रादि की प्रतिलेखना करे ।
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