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________________ २७४ . उत्तराध्ययन सूत्र - सोलहवां अध्ययन kakkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk इन दश ब्रह्मचर्य समाधि स्थानों को सुन कर एवं अर्थ का निर्णय करके विशिष्ट साधना से युक्त साधक ब्रह्मचर्य पालन में मन-वचन-काया से स्थिर हो सकता है। . संयम में खेदित होते हुए तथा धर्म से डिगते हुए प्राणी को जो धर्म में स्थिर करे, उसे 'स्थविर' कहते हैं। ठाणांग सूत्र ३ उद्देशा ३ में स्थविर के तीन भेद बतलाएं हैं। यथा - . .. १. वयःस्थविर (जन्म स्थविर, जाति स्थविर) - साठ वर्ष की अवस्था के साधु वयः स्थविर कहलाते हैं। २. श्रुत स्थविर (सूत्र स्थविर-ज्ञान स्थविर) - श्री स्थानांग (ठाणांग) और समवायांग सूत्र के ज्ञाता सूत्र स्थविर कहलाते हैं। ३. प्रव्रज्या स्थविर (दीक्षा स्थविर-पर्याय स्थविर) - बीस वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले साधु प्रव्रज्या स्थविर कहलाते हैं। ___ तीर्थंकर भगवन्तों के गणधरों को भी 'स्थविर' कहते हैं। ब्रह्मचर्य समाधि स्थानों की जिज्ञासा कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं दस बंभचेर-समाहि ठाणा पण्णत्ता, जे भिक्खू सुच्चा णिसम्म संजमबहुले संवरबहुले समाहिबहुले गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी सया अप्पमत्ते विहरेज्जा। ___ कठिन शब्दार्थ - कयरे - कौन से। भावार्थ - आर्य जम्बूस्वामी, आर्य सुधर्मा स्वामी से जिज्ञासा करते हैं कि स्थविर भगवंतों ने ब्रह्मचर्य समाधि के वे कौन से दश स्थान बतलाए हैं जिन्हें सुन कर, जिनका अर्थागम करके भिक्षु संयम, संवर और समाधि से अधिकाधिक समृद्ध होकर मन, वचन और काया को संगुप्त करे, इन्द्रियों को नियंत्रित करे, ब्रह्मचर्य को सुरक्षित रखे तथा सदा अप्रमत्त भाव में विचरण करे। जिज्ञासा का समाधान . इमे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं दस बंभचेर-समाहि ठाणा पण्णत्ता, जे भिक्खू सुच्चा णिसम्म संजमबहुले संवरबहुले समाहिबहुले गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी सया अप्पमत्ते विहरेज्जा॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004180
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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