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________________ [20] ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ १७५ १७८ क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय १६१. संसार सागर को शीघ्र पार करने का निर्देश१७४ | १७२. बहुश्रुतता का फल १६१ १६२. अप्रमाद का फल १७५ | १७३. श्रुताभ्यास की प्रेरणा/उपसंहार १६३. सिद्धि का उपाय हरिकेशीय नामक बारहवां १६४. उपसंहार १७६ अध्ययन १६३-२१७ बहुश्रुतपूजा नामक ग्यारहवां १७४. हरिकेश मुनि का परिचय अध्ययन १७७-१९२ . १७५. हरिकेशी मुनि के गुण १६५. अबहुश्रुत के लक्षण ..... १७७ १७६. भिक्षार्थ गमन ... १६६. शिक्षा प्राप्त नहीं होने के कारण १७७. याज्ञिकों द्वारा उपहास . . . १६७. बहुश्रुतता की प्राप्ति के कारण १७६ १७८. हरिकेशमुनि से पृच्छा १६८. अविनीत का लक्षण १७६ १७६. यक्ष द्वारा शरीर पर प्रभाव | १६६. सुविनीत कौन? ૧૬૧ १८०. यक्ष और याज्ञिकों का संवाद ... १७०. शिक्षा प्राप्त करने का अधिकारी १८२ | १८१. छात्रों द्वारा तांडव १७१. बहुश्रुत का स्वरूप और माहात्म्य १८२. भद्रा राजकुमारी का प्रयास २०४ १.शंखकी उपमा .. १८३ १८३. मुनि का तपोबल माहात्म्य २०४ २. आकीर्ण अश्व की उपमा .. १८४. यक्ष द्वारा कुमारों की दुर्दशा २०५ ३. शूरवीर की उपमा - ४. हाथी की उपमा १८५. मुनि की आशातना का दुष्परिणाम ५. वृषभ की उपमा १८६. महर्षि का गुणांनुवाद २०६ ६. सिंह की उपमा १८७. छात्रों की दुर्दशा का वर्णन २०७ ७. वासुदेव की उपमा | १८८. आहारग्रहण की प्रार्थना ८. चक्रवर्ती की उपमा १८६. आहार दान का प्रभाव २१०. ९.इन्द्र की उपमा १६०. तप का माहात्म्य २११ १०. सूर्य की उपमा ११. चन्द्रमा की उपमा १६१. हरिकेशबल मुनि का उपदेश २११ १२. कोष्ठागार की उपमा | १६२. यज्ञ विषयक जिज्ञासा २१२ १३. जम्बू वृक्ष की उपमा | १६३. मुनि का समाधान २१३ १४. सीता नदी की उपमा १६४. यज्ञ के साधन १५. मंबर पर्वत की उपमा १९० | १६५. उपसंहार २१७ १६. स्वयंभूरमण समुद्र की उपमा ११ ३ २०६ २०६ १९० २१४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004180
Book TitleUttaradhyayan Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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