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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र काल-विस्तार (२५) से किं तं उवमिए? उवमिए दुविहे पण्णत्ते, तंजहा - पलिओवमे य सागरोवमे य। . . से किं तं पलिओवमे? पलिओवमस्स परूवणं करिस्सामि-परमाणु दुविहे पण्णत्ते, तंजहा - सुहुमे य वावहारिए य, अणंताणं सुहुमपरमाणुपुग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू णिप्फज्जइ, तत्थ णो सत्थं कमइ - सत्थेण सुतिक्खणवि, छेत्तुं भित्तुं च जं किर ण सक्का। तं परमाणुं सिद्धा, वयंति आई पमाणाणं॥ १॥ अणंताणं वावहारियपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा. उस्सण्हसण्हिहयाइ वा, सण्हसण्हियाइ वा, उढरेणूड वा, तसरेणूइ वा, रहरेणूइ वा, वालग्गेइ वा, लिक्खाइ वा, जूयाइ वा, जवमझेइ वा, उस्सेहंगुले इ वा, अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उहरेणू, अट्ठ उड्डरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साणं वालग्गे, अट्ठ देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साणं वालग्गा, से एगे हरिवासरम्मयवासाण मणुस्साणं वालग्गे, एवं हेमवयहेरण्णवयाण मणुस्साणं, पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया, अट्ठ जूयाओ से एगे जवमझे, अट्ठ जवमज्झा से एगे अंगुले, एएणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पाओ, बारस अंगुलाई विहत्थी, चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छण्णउइ अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा, दंडेइ वा, धणूड़ वा, जुगेइ वा, मुसलेइ वा, णालियाइ वा। एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाई जोयणं । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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