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प्रज्ञप्ति
ज्योतिष्क देवों की गति का तारतम्य
(२०१ )
एएसि णं भंते! चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्वसिग्घगई कयरे सव्वसिग्घतराए चेव ?
गोयमा ! चंदेहिंतो सूरा सिग्घगई, सूरेहिंतो गहा सिग्घगई, गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहिंतो तारारूवा सिग्घगई, सव्वप्पगई चंदा, सव्वसिग्घगई तारारूवा इति ।
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भावार्थ - हे भगवन्! इन चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र एवं तारे - इन ज्योतिष्क देवों में कौन सर्वाधिक शीघ्र गतियुक्त एवं शीघ्रतर गतियुक्त है ?
हे गौतम! चन्द्रों की अपेक्षा सूर्यों की गति, सूर्यों की अपेक्षा ग्रहों की, ग्रहों की अपेक्षा नक्षत्रों की तथा नक्षत्रों की अपेक्षा तारों की गति अधिक शीघ्रतायुक्त है । इनमें चन्द्र सबसे मंदगतियुक्त एवं तारे सर्वाधिक शीघ्र गतियुक्त हैं।
ज्योतिष्क देवों की ऋद्धि
(२०२)
एएसि णं भंते! चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्वमहिड्डिया कयरे सव्व पड्डिया ?
गोयमा ! तारारूवेहिंतो णक्खत्ता महिड्डिया, णक्खत्तेहिंतो गहा महिड्डिया, गहेहिंतो सूरिया महिड्डिया, सूरेहिंतो चंदा महिडिया, सव्वप्पिड्डिया तारारूवा, सव्वमहिड्डिया चंदा ।
भावार्थ - हे भगवन्! इन चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र एवं तारों में कौन-कौन सर्वाधिक ऋद्धिशाली है और कौन सबसे कम ऋद्धियुक्त है ?
हे गौतम! तारों की अपेक्षा नक्षत्र, नक्षत्रों की अपेक्षा ग्रह, ग्रहों की अपेक्षा सूर्य एवं सूर्यो की अपेक्षा चन्द्र अधिक समृद्धिशाली हैं।
इस प्रकार तारे सबसे कम ऋद्धिशाली एवं चन्द्र सर्वाधिक ऋद्धियुक्त है।
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