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सप्तम् वक्षस्कार - नक्षत्र संबद्ध तारे
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गोयमा! बम्हदेवयाए पण्णत्ते, सवणे णक्खत्ते विण्हदेवयाए पण्णत्ते, धणिट्ठा० वसुदेवयाए पण्णत्ते, एएणं कमेणं णेयव्वा अणुपरिवाडी इमाओ देवयाओ-बम्हा विण्हू वसू वरुणे अए अभिवडी पूसे आसे जमे अग्गी पयावई सोमे रुद्दे अदिई वहस्सई सप्पे पिऊ भगे अज्जम सविया तट्ठा वाऊ इंदग्गी मित्तो इंदे णिरई आऊ विस्सा य, एवं णक्खत्ताणं एसा परिवाडी णेयव्वा जाव उत्तरासाढा किंदेवया पण्णत्ता?
गोयमा! विस्सदेवया पण्णत्ता। शब्दार्थ - अणुपरिवाडी - अनुपरिपाटी - क्रमशः।।
भावार्थ - हे भगवन्! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित आदि नक्षत्रों के कौन-कौन देवता कहे गए हैं?
हे गौतम! अभिजित, श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र के क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु एव वसु देवता कहे गये हैं। पहले नक्षत्र से अट्ठाईस नक्षत्र तक के देवता क्रमशः इस प्रकार हैं - ब्रह्मा, विष्णु, वसु, वरुण, अज, अभिवृद्धि, पूसा, अश्व, यम, अग्नि, प्रजापति, सोम, रुद्र, अदिति, बृहस्पति, सर्प, पितृ, भग, अर्यमा, सविता, त्वष्टा, वायु, इन्द्राग्नि, मित्र, इन्द्र, नेर्ऋत, आप एवं विश्वेदेवा।
उत्तराषाढा नक्षत्र पर्यन्त यह क्रम ग्राह्य है। अन्त में यावत् उत्तराषाढ़ा का कौन देवता है? हे गौतम! विश्वेदेवा इसके देवता बतलाए गए हैं।
नक्षत्र संबद्ध तारे
(१९१) एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते कइतारे पण्णत्ते?
गोयमा! तितारे पण्णत्ते, एवं णेयव्वा जस्स जइयाओ ताराओ, इमं च तं तारग्गं
तिगतिगपंचगसयदुग-दुगबत्तीसगतिगं तह तिगं च।। छप्पंचगतिगएक्कगपंचगतिग-छक्कगं चेव॥१॥
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