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________________ ४२४ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र १८२६३ हे गौतम! वे ५२६५- योजन क्षेत्र पार करते हैं। २१६६० हे भगवन्! जब नक्षत्र सर्व बाह्य मंडल को उपसंक्रांत कर गति करते हैं तो वे प्रतिमुहूर्त्त कितना क्षेत्र पार करते हैं? १६३६५ हे गौतम! वे प्रतिमुहूर्त्त ५३१६- योजन क्षेत्र पार करते हैं । २१६६० हे भगवन्! वे आठ नक्षत्र मंडल कितने चन्द्रमंडलों में अन्तर्भूत होते हैं ? हे गौतम! वे पहले, तीसरे, छठे, सातवें, आठवें, दसवें, ग्यारहवें एवं पन्द्रहवें चंद्रमंडल अन्तर्भूत होते हैं। हे भगवन्! चन्द्र एक मुहूर्त में मंडल परिधि का कितना भाग पार करता है? हे गौतम! चन्द्रमा जिस-जिस मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है उस उस मंडल की १७६८ परिधि का भाग पार करता है। १०६८०० हे भगवन्! सूर्य प्रतिमुहूर्त मंडल परिधि का कितना भाग पार करता है? हे गौतम! सूर्य जिस-जिस मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है, उस उस मंडल की भाग पार करता है। १८३० परिधि के १०६८०० हे भगवन्! नक्षत्र प्रतिमुहूर्त्त मंडल परिधि का कितना भाग पार करते हैं ? हे गौतम! नक्षत्र जिस-जिस मंडल को उपसंक्रांत कर गति करते हैं, उस-उस मंडल की परिधि का १८३५ १०६८०० भाग पार करते हैं। (१८३) जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति १ पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति २ दाहिणपडीणमुग्गच्छ पडी - उदीणमागच्छंति ३ पडीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छंति ४ ? हंता गोयमा ! जहा पंचमसए पढमे उद्देसे जाव णेवत्थि० उस्सप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले प० समणाउसो !, इच्चेसा जम्बुद्दीवपण्णत्ती सूरपण्णत्ती वत्थुसमासेणं सम्मत्ता भवइ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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