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________________ सप्तम् वक्षस्कार - चन्द्र मंडल ४११ गोयमा! पणतीसं २ जोयणाई तीसं च एगसटिभाए जोयणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णियाभाए चंदमंडलस्स अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। भावार्थ - हे भगवन्! एक चन्द्रमंडल दूसरे चन्द्रमंडल से कितनी दूरी है? हे गौतम! एक चंद्रमण्डल की दूसरे चन्द्रमंडल से ३५८० योजन तथा इकसठ भागों में बंटे हुए एक योजन के एक भाग के सात भागों में चार भाग योजनांश प्रमाण दूरी है। (१७८) चंदमंडले णं भंते! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? - गोयमा! छप्पण्णं एगसट्ठिभाए जोयणस्स आयामविक्खम्भेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स बाहल्लेणं०। - भावार्थ - हे भगवन्! चन्द्रमंडल का आयाम विस्तार, परिधि एवं ऊँचाई कितनी निरूपित हे गौतम! चन्द्रमंडल का आयाम विस्तार १६ योजन, परिधि इससे तीन गुनी से कुछ अधिक तथा ऊँचाई योजन आख्यात हुई है। ___(१७६) .. जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वन्भंतरए चंदमंडले पण्णत्ते? गोयमा! चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य वीसे जोयणसए अबाहाए सव्वन्भंतरे चंदमंडले पण्णत्ते। जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए अन्भंतराणंतरे चंदमंडले पण्णत्ते? गोयमा! चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ट य छप्पण्णे जोयणसए पणवीसं च Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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