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________________ ४१० जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र **-04--24-10-28-02-28-12-12-0410-19-19------------------08-00-00-00-00-00-00-0-0-0-- जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया चंदमण्डला पण्णत्ता? गोयमा! जम्बुद्दीवे दीवे असीयं जोयणसयं ओगाहित्ता एत्थ णं पंच चंदमण्डला पण्णत्ता, लवणे णं भंते! पुच्छा। गोयमा! लवणे णं समुद्दे तिण्णि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्थ णं दस चंदमण्डला पण्णत्ता, एवामेव सपुव्वावरेणं जम्बुद्दीवे दीवे लवणे य समुद्दे पण्णरस चंदमण्डला भवंतीतिमक्खायं। भावार्थ - हे भगवन्! चन्द्रमण्डल कितने आख्यात हुए हैं? हे गौतम! वे पन्द्रह कहे गए हैं। हे भगवन! जंबुद्वीप में कितने क्षेत्र का अवगाहन कर कितने चन्द्र मण्डल हैं? हे गौतम! जम्बूद्वीप में १८० योजन क्षेत्र का अवगाहन करते हुए पांच चन्द्रमण्डल बतलाए गये हैं। हे भगवन्! लवण समुद्र में कितने क्षेत्र का अवगाहन करते हुए, कितने चन्द्रमंडल बतलाए गए हैं ? . हे गौतम! लवण समुद्र में ३३० योजन क्षेत्र का अवगाहन करते हुए दस चन्द्र मण्डल कहे गए हैं। इस प्रकार जम्बूद्वीप एवं लवण समुद्र में कुल पन्द्रह चन्द्रमंडल बतलाए गए हैं। (१७६) सव्वन्भंतराओ णं भंते! चन्द्रमंडलाओ केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरए चंदमंडले पण्णत्ते? गोयमा! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए चंदमंडले पण्णत्ते। ___ भावार्थ - हे भगवन्! सर्वाभ्यंतर चन्द्रमंडल से सर्वबाह्य चन्द्रमंडल अबाधित रूप में कितनी दूरी पर आख्यात हुआ है? । हे गौतम! वह ५१० योजन दूरी पर कहा गया है। (१७७) चंदमंडलस्स णं भंते! चंदमंडलस्स य एस णं केवइयाए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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