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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
इस प्रकार पूर्वोक्त क्रमानुसार प्रवेश करता हुआ सूर्य पूर्वमंडल से उत्तरमण्डल का संक्रमण करता हुआ रात्रि क्षेत्र में, एक-एक मंडल में मुहूर्तांश कम करता हुआ तथा दिवस क्षेत्र में दो मुहूर्तांश अधिक करता हुआ सर्वाभ्यंतर मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है। ....
हे भगवन्! जब सूर्य सर्वबाह्य मंडल से सर्वाभ्यंतर मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है तब वह सर्व बाह्य मंडल का परित्याग कर १८३ अहोरात्र में रात्रि क्षेत्र में ३६६ से ... मुहूर्तांश कम कर तथा दिवस क्षेत्र में उतने ही मुहूर्तांश अधिक कर गति करता है।
ये द्वितीय छह मास हैं। इस प्रकार द्वितीय छह मास का समापन होता है। यह आदित्यसंवत्सर है। इस प्रकार इसका समापन क्रम बतलाया गया है।
ताप-क्षेत्र
(१६८) जया णं भंते! सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किंसंठिया तावखेत्तसंठिई पण्णत्ता?
गोयमा! उड्डीमुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठिया तावखेत्तसंठिई पण्णत्ता, अंतो संकुया बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं विहुला अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सगडुद्धीमुहसंठिया, उभओ पासे णं तीसे दो बाहाओ अवट्ठियाओ हवंति पणयालीसं २ जोयणसहस्साई आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवट्ठियाओ हवंति, तंजहा-सव्वन्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वब्भंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं णवजोयणसहस्साई चत्तारि छलसीए जोयणसए णव य दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं।
एस णं भंते! परिक्खेवविसेसे कओ आहिएति वएजा?
गोयमा! जे णं मंदरस्स० परिक्खेवं तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिएति वएज्जा, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुदंतेणं चउणवई जोयणसहस्साइं अट्ठ य अट्ठसट्टे जोयणसए चत्तारि य दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं।
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