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सप्तम् वक्षस्कार - दिवस-रात्रि प्रमाण
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हे गौतम! तब दिन १८ मुहूर्त से , मुहूतांश कम तथा रात्रि १२ मुहूर्त से , मुहूर्तांश अधिक होती है।
इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ तथा पूर्वमंडल से उत्तर मंडल का संक्रमण करता हुआ . सूर्य प्रत्येक मंडल में दिवस परिमाण को - मुहूर्तांश कम करता हुआ तथा रात्रि परिमाणं को
- मुहूर्तांश अधिक करता हुआ, सर्व बाह्य मंडल को उपसंक्रांत कर आगे गति करता है। ____ जब सूर्य सर्वाभ्यंतर मंडल से सर्वबाह्य मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है, तब सर्वाभ्यंतर मंडल का परित्याग कर १८३ अहोरात्र में, दिवस क्षेत्र में - मुहूर्तांश कम ३६६ में तथा रात्रि क्षेत्र में इतने ही मुहूर्तांश अधिक गति करता है।
. हे भगवन्! जब सूर्य सर्वबाह्य मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है तब दिवस कितना बड़ा तथा रात्रि कितनी बड़ी होती है? ____ हे गौतम! तब रात्रि अधिक से अधिक १८ मुहूर्त की तथा दिन कम से कम १२ मुहूर्त का होता है।
- ये प्रथम छह मास हैं। इस प्रकार प्रथम छह मास का पर्यवसान होता है। वहाँ से प्रवेश करता हुआ सूर्य द्वितीय छह मास के प्रथम अहोरात्र में दूसरे बाह्य मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है। ... हे भगवन्! जब सूर्य द्वितीय बाह्य मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है तब दिन कितना बड़ा होता हैं तथा रात्रि कितनी बड़ी होती है?
हे गौतम! तब रात अठारह मुहूर्त । मुहूर्तांश कम होती है तथा दिन १२ मुहूर्त से २१ मुहूर्तांश अधिक होता है। वहाँ से प्रवेश करता हुआ सूर्य द्वितीय अहोरात्र में तृतीय बाह्य मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है। __ हे भगवन्! जब सूर्य तृतीय बाह्य मंडल का उपसंक्रमण कर गति करता है तब दिन-रात कितने बड़े होते हैं? ___ हे गौतम! तब रात्रि १८ मुहूर्त से हैं, मुहूर्तांश कम होता है तथा दिन १२ मुहूर्त से : मुहूर्तांश अधिक होता है।
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