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________________ सप्तम् वक्षस्कार - सूर्यमण्डल : आयाम - विस्तार आदि हे भगवन्! जम्बूद्वीपवर्ती मंदर पर्वत के सर्व बाह्य सूर्यमण्डल दूसरे बाह्य सूर्यमण्डल का अंतर कितना बतलाया गया है? १३ ६१ हे गौतम! सर्व बाह्य सूर्यमण्डल से दूसरे बाह्य सूर्यमण्डल का अंतर ४५३२७योजन है। हे भगवन्! जम्बूद्वीपवर्ती मंदर पर्वत के सर्वबाह्य सूर्यमंडल से तीसरे बाह्य सूर्यमण्डल का अन्तर कितना कहा गया है? २६ हे गौतम! सर्वबाह्य सूर्यमण्डल से तीसरे सूर्यमण्डल का अंतर ४५३२४ - गया है। ६१ ३८६ ४८ इस प्रकार अहोरात्र मंडल के परित्यागक्रम से जम्बूद्वीप में प्रविष्ट होता हुआ सूर्य तदनंतर मंडल से तदनंतर मंडल पर संक्रमण करता हुआ, एक-एक मंडल पर २योजन की अन्तर्वृद्धि कम करता हुआ, सर्वाभ्यंतर मंडल पर पहुँच कर गतिशील होता है । ६१ सूर्यमण्डल : आयाम - विस्तार आदि योजन कहा (१६५) जंबुद्दीवे दीवे सव्वब्भंतरं णं भंते! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पण्णरस य जोयणसहस्साइं एगूणणउ च जोयणाई किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं० । अब्भंतराणंतरे णं भंते! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? Jain Education International गोयमा ! णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगसट्टिभाए जोयणस्स आयामविक्खम्भेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरस जोयणसहस्साइं एगं सत्तुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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