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________________ ३८६ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र गोयमा! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए सूरमण्डले पण्णत्ते २ ॥ भावार्थ - हे भगवन्! सर्वाभ्यंतर सूर्यमंडल से सर्व बाह्य सूर्यमंडल कितनी दूरी पर कहा गया है? हे गौतम! वह ५१० योजन की दूरी पर बतलाया गया है। (१६२) सूरमण्डलस्स णं भंते! सूरमण्डलस्स य केवइयं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते? . गोयमा! दो जोयणाई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ३॥ भावार्थ - हे भगवन्! एक सूर्य मंडल से दूसरे सूर्यमंडल की व्यवधान रहित दूरी कितनी . बतलाई गई है? हे गौतम! एक सूर्यमंडल से दूसरे सूर्यमंडल की व्यवधान रहित दूरी दो योजन है। (१६३) सूरमंडले णं भंते! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? गोयमा! अडयालीसं एगसट्ठिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं चउवीसं एगसट्ठिभाए जोयणस्स बाहल्लेणं पण्णत्ते इति ॥ भावार्थ - हे भगवन्! सूर्यमण्डल की लम्बाई-चौड़ाई, परिधि एवं मोटाई कितनी कही गई है? - हे गौतम! सूर्यमंडल की लम्बाई-चौड़ाई : योजन, परिधि उससे तीन गुनी से कुछ अधिक तथा मोटाई २४ योजन कही गई है। मेरु से सूर्यमण्डल का अन्तर (१६४) जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वन्भंतरे सूरमंडले पण्णत्ते? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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