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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
आचार्य शांतिचन्द्र ने अपनी वृत्ति में इस सम्बन्ध में उल्लेख किया है - जिसमें सौ प्रकार के द्रव्य डालकर सौ बार जिसका पाक किया जाता है, उसे शतपाक तैल कहा जाता है। सहस्त्रपाक तैल में सौ के स्थान पर सहस्त्र पदार्थों एवं सहस्त्र बार परिपाक की विधि है। इससे तेल में विशेष गुण निष्पन्न होते हैं। वह दैहिक पुष्टि कोमलता और आभा की वृद्धि करता है।
(१४८) तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के णामं देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे - सयक्कऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणड्डलोगाहिवई बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे आलइयमालमउडे णवहेमचारुचित्तचंचलकुण्डलविलिहिजमाणगंडे भासुरबोंदी पलम्बवणमाले महिड्डिए महजुइए महाबले महायसे महाणुभागे महासोक्खे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसाहस्सीणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं चउण्हं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महया हयणटगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंग-पडुपडहवाइयरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ। ___तए णं तस्स सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणं चलइ, तए णं से सक्के जाव आसणं चलियं पासइ २ ता ओहिं पउंजइ पउंजित्ता भगवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ २ त्ता हट्टतुट्ठचित्ते आणदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए धाराहयकयंब-कुसुम-चंचुमालइयऊसवियरोमकूवे वियसियवरकमलणयणवयणे पयलियवरकडगतुडियकेऊरमउडे कुण्डलहारविरायंतवच्छे पालम्बपलम्बमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं सुरिंदे सीहासणाओ अब्भुढेइ २
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