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________________ चतुर्थ वक्षस्कार - हैरण्यवत वर्ष ३२६ हैरण्यवत वर्ष (१४२) कहि णं भंते! जम्बुद्दीवे दीवे हेरण्णवए णामं वासे पण्णत्ते? गोयमा! रुप्पिस्स उत्तरेणं सिहरिस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पचत्थिम-लवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे हेरप्णवए णामं वासे पण्णत्ते, एवं जह चेव हेमवयं तह चेव हेरण्णवयंपि भाणियव्वं, णवरं जीवा दाहिणेणं उत्तरेणं धणुं अवसिढे तं चेवत्ति। .. कहि णं भंते! हेरण्णवए वासे मालवंतपरियाए णामं वट्टवेयड्डपव्वए पण्णत्ता? गोयमा! सुवण्णकूलाए पच्चत्थिमेणं रुप्पकू लाए पुरत्थिमेणं एत्थ णं हेरण्णवयस्स वासस्स बहुमज्झदेसभाए मालवंतपरियाए णामं वट्टवेयड्डपव्वए पण्णत्ता जह चेव सद्दावइ० तह चेव मालवंत परियाएवि, अट्ठो उप्पलाई पउमाई मालवंतप्पभाई मालवंतवण्णाई मालवंतवण्णाभाई पभासे य इत्थ देवे महिडिए.....पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से एएणटेणं० रायहाणी उत्तरेणंति। - से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ-हेरण्णवए वासे २? .. - गोयमा! हेरण्णवए णं वासे रुप्पीसिहरीहिं वासहरपव्वएहिं दुहओ समवगूढे णिच्चं हिरणं दलइ णिच्वं हिरण्णं मुंचइ णिच्वं हिरणं पगासइ हेरण्ण वए य इत्थ देवे परिवसइ०, से एएणटेणंति। शब्दार्थ - पगासइ - प्रकाशित करता है। . भावार्थ - हे भगवन्! जम्बूद्वीप के अंदर हैरण्यवत क्षेत्र किस स्थान पर आख्यात हुआ है? हे गौतम! रुक्मी नामक वर्षधर पर्वत की उत्तर दिशा में, शिखरी नामक वर्षधर पर्वत की दक्षिण दिशा में, पूर्ववर्ती लवण समुद्र के पश्चिम में एवं पश्चिमदिग्वर्ती लवण समुद्र के पूर्व में, जम्बूद्वीप के अंतर्गत हैरण्यवत क्षेत्र आख्यात हुआ है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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